त्र्यम्बकेश्वर ज्योर्तिलिंग महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित हैं। यह 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रमुख ज्योतिर्लिंग है। मंदिर के गर्भ ग्रह में एक गड्ढे में तीन छोटे-छोटे प्राकृतिक लिंग बने हुए हैं जिन्हें ब्रह्मा विष्णु और महेश माना जाता है। इसी कारण यह ज्योतिर्लिंग एक विशेष ज्योतिर्लिंग है जहां ब्रह्मा विष्णु महेश तीनों के दर्शन हो जाते हैं। यहां का शिवलिंग त्रिमुखी है इसीलिए इसे त्रयम्बकेश्वर कहा जाता है। कथा के अनुसार एक बार तपोवन की ब्राह्मिन औरते गौतम ऋषि की पत्नी माता अहिल्या से किसी बात पर नाराज़ हो गई और उन्होंने इसकी शिकायत अपने पतियों से की ओर उसे सबक सिखाने के लिए कहा। तब ब्राह्मणों ने भगवान गणेश की स्तुति की ओर जब भगवान गणेश प्रकट हुए ओर वर मांगने के लिए कहा तो ब्राह्मणों ने गौतम ऋषि को तपोवन से बाहर निकलने के लिए कहा। गणेशजी ने ब्राह्मणों को ऐसा ना करने के लिए कहा और उन्हें बहुत समझाया पर अंत मे उन्हें ब्राह्मणों की बात माननी पड़ी। विवश होकर उन्होंने एक दुर्बल गाय का रूप धारण किया और गौतम ऋषि के खेत मे फसल चरने लगे। गाय को चरते देख गौतम ऋषि ने एक तिनके से उसे मारा और वह गाय वही मर गई। तभी सारे ब्राह्मणों ने गौतम ऋषि को गो हत्या के पाप के लिए तपोवन छोड़ने के लिए कहा। तब गौतम ऋषि ने उनसे गो हत्या के पाप से मुक्त होने का उपाय पूछा। ब्राह्मणों ने कहा कि अगर गो हत्या के पाप से मुक्त होना है तो गंगा जी को यहां लाना होगा और उसमें नहाकर ही तुम्हारी गो हत्या का पाप छूट सकता है। तब गौतम ऋषि ने भगवान शिव की कठोर तपस्या की। उनकी तपस्या से खुश होकर शिवजी प्रकट हुए और उनसे ब्राह्मणों के द्वारा किये गए छल के बारे में बताया और उन्हें दंड देनी की बात कही। तब गौतम ऋषि ने शिवजी से कहा कि उनके इसी छल की वजह से मुझे आपके दर्शन हुए है आप उन्हें माफ कर दीजिए और हमेशा के लिए त्रिदेव ब्रह्ना विष्णु सहित यहां बिराजमान हो जाइए। तब भगवान शिव यहां त्रिदेव के साथ बिराजमान हुए और यह त्रयम्बकेश्वर ज्योतिर्लिंग कहलाया। बाद में शिवजी ने अपनी जटाओं में से गंगा जी को बाहर निकाला जो गोदावरी कहलाई ओर उसमे नहाकर गौतम ऋषि गो हत्या के पाप से मुक्त हुए।
त्रयम्बकेश्वर मंदिर के कुछ ही दूरी पर कुशावर्त तीर्थ स्थित है। यह एक कुंड है जहाँ गोदावरी नदी का पवित्र जल भूमि में से निकलता है। जो भी श्रद्धालु त्रयम्बकेश्वर के दर्शन हेतु आते है वह यहां स्नान करने के बाद ही दर्शन को जाते है। कहा जाता है कि गौतम ऋषि ने एक कुश से इस कुंड को अभिमंत्रित किया था ओर इस कुंड में नहाने से वे गौ हत्या के पाप से मुक्त हुए थे। इसलिए कहा जाता है कि जो श्रद्धालु यहां स्नान करते है उनके पाप नष्ट हो जाते है।
त्रयम्बकेश्वर में ही ब्रह्मगिरि पर्वत स्थित है जो गोदावरी नदी का उद्गम स्थल है। करीब 3 km की सामान्य चढ़ाई करके हम ब्रह्मगिरि पर्वत के शिखर तक पहुचते है। यहां गोदावरी उद्गम स्थल, जहा से गोदावरी प्रकट हुई थी, ब्रह्मगिरि मंदिर जहा गौतम ऋषि ने तपस्या की थी, तथा शिव जटा मंदिर स्थित है जहाँ शिवजी ने रूठे हुए गंगा जी को प्रकट करने के लिए अपने जटाए जमीन पर पटकी थी।
यह सम्पूर्ण त्रयम्बकेश्वर क्षेत्र पूर्व में गौतम ऋषि की तपस्या, शिवजी के वरदान ओर गोदावरी माता की कृपा से बसा हुआ है और आज दूर दूर से लोग यहां दर्शन हेतु आते है।
त्रयम्बकेश्वर नाशिक से 35 km की दूरी पर स्थित है। आप यहां सड़क रेल और वायुमार्ग से नाशिक होते हुए पहुच सकते है।
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