1. धर्मस्य दीपो जगतः प्रकाशो,
बुद्धो विभाति विमलार्क रूपः।
शांतिं ददाति स समस्त लोकं,
निर्वाण मार्गं स विनिर्ममे यः॥
2. त्यक्त्वा विलासं सukhसंपदं च,
सिद्धार्थ नाम्ना शिशुराज योगी।
ज्ञानार्थ हेतुं स गृहं विमुच्य,
बुद्धत्वलब्धं जगतां सुनेत्रः॥
3. मायार सुपुत्रो शुभकर्म शीलः,
संसार सागर विमोचनार्थम्।
त्यक्त्वा नृशंसं भुवने विलासं,
निर्वाण पथं जगते प्रदत्तः॥
4. मारस्य सैन्यं धृतधर्म चक्रं,
धृत्वा जिनोऽयं विजयाय यातः।
निर्वेद मार्गे सुहितं प्रदत्तं,
शरणं गताः ते सुखिनः भवन्तु॥
भगवान बुद्ध के अमूल्य उपदेशों में से परिब्बाजकवग्ग और भिक्खुवग्ग दो महत्वपूर्ण खंड हैं, जो हमें आत्मज्ञान, संयम और भिक्षु जीवन की महानता को समझाते हैं। इस वीडियो में हम त्रिपिटक के इन महान उपदेशों को सरल भाषा में समझेंगे और जानेंगे कि कैसे ये आज भी हमारे जीवन को प्रकाशित कर सकते हैं।
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