नमस्कार,
हमारे देश भारत के एक क्षेत्र विशेष को विंध्य क्षेत्र (बघेलखण्ड) के नाम से जाना जाता है | जिसकी बहुत प्यारी बघेली भाषा एवं वहाँ पर गायी और सुनी जाने वाले वहाँ की पारम्परिक बघेलखण्डी लोकगीत है | समस्त संस्कार के समय गाए जाने वाले लोकगीत बघेलखण्ड की पहचान है | सोहर, बनरा, बियाह, मुंडन, कनछेदन, बरुआ, गमन, अंजुरी जैसे अनेको तरह की लोक संगीत बघेलखण्ड की शान है | जो धीरे-धीरे फिल्मी दुनिया के आने से विलुप्त होती जा रही है | इन लोकगीतों को विलुप्त होने से बचाने का यह एक छोटा सा प्रयास है, जिसमें आप सबके सहयोग एवं प्रोत्साहन की सतत आवश्यकता है | "बघेलखण्ड के गीत" चैनल में प्रतिदिन आपको एक से एक लोकगीतें देखने व सुनने को मिलेगी । आप सबके सहयोग और स्नेह की शुभ आशा के साथ समस्त लोकगीत प्रेमियों का अभिनन्दन | नमस्कार | आभार |
- "बघेलखण्ड के गीत" टीम
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🙏 सभी मित्रों को प्रणाम 🙏
-टीम "बघेलखण्ड के गीत"