मेरा हल्द्वानी की आंटी का पात्र विमला उन सभी मांओं को समर्पित है जिन्होंने अपना जीवन एक अलग इंसान के तौर पर कभी जिया ही नही। कभी वो किसी की बेटी बनी या बहन या पत्नी या मां। उन्होंने अपना सारा जीवन दूसरों के लिए समर्पित कर दिया। अपनो की खुशी में ही उन्होंने खुश होना सीखा। अपनों का ध्यान रखते रखते वो खुद को ही भूल गई। वो छोटी छोटी बातों पर खुश होना जानती हैं। असल में वो मां ही इस समाज को जोड़े रखने का आधार है। मेरा यह छोटा सा प्रयास उन्ही मां को एक पहचान दिलाना है जिसका योगदान हम अक्सर भूल जाते हैं। आशा है की यह प्रयास आपको अपने जीवन से कहीं न कहीं जोड़ पाएगा और इस व्यस्त दिनचर्या में आपके चेहरे पर एक मुस्कान ज़रूर ले आएगा। 🙏😊