जीवन यात्रा सुखी बने, इसके लिए विश्वास और संयम परम आवश्यक है। विश्वास परमात्मा और उसकी सृष्टि के लिए और संयम स्वजीवन के लिए।
संसार में रहते हुए सभी कार्य करते हुए परमेश्वर का सदैव स्मरण करना चाहिए। सांसारिक व्यवहार निभाते हुए परमशक्ति में सदैव विश्वास बना रहना चाहिए।
इसलिए हमारा उद्देश्य है धर्म, अर्थ, काम, तथा मोक्ष इन चार पुरुषार्थों द्वारा आत्मा और परमात्मा का साक्षात्कार करवाना।