महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी धरती के वे अद्भुत और अनूठे संत हैं जिन्होंने अपने जीवन और जादुई प्रवचनों से जन-जन के हृदय को चमत्कृत किया है। उनके जीवन की सरसता और सरलता दिल को छू लेने वाली है। उनका कुछ पल का सान्निध्य व्यक्ति को प्राणवंत कर देता है। उनके वचनों में ऐसी रसमयता होती है कि चाहे बच्चा हो या बड़ा, प्रभावित हुए बिना नहीं रह पाता। उनके साहित्य को पढ़ते हुए पाठक उसमें ऐसा डूब जाता है जैसे वह गंगा में डूबकी लगा रहा हो। उनके अमृत प्रवचनों को सुनते हुए ऐसा लगता है मानो ग्रीष्म ऋतु में झुलसे तन-मन पर अमृत की बौछारें गिर रही हों।
अपने प्रभावी व्यक्तित्व और विशिष्ट प्रवचन-शैली के लिए देशभर में लोकप्रिय संत श्री ललितप्रभ जी जहाँ भी जनमानस को संबोधित करते हैं वहाँ की आबोहवा ही बदल-सी जाती है। लोग जात-पांत, पंथ-परम्पराओं के गलियारों से बाहर निकलकर ऐसे खींचे चले आते हैं जैसे कोई दिल के तार छेड़ रहा हो। वे सीधे दिल से बोलते हैं और बात सीधी दिल में उतर जाती है। देश के लगभग हर बड़े शहर में संतप्रवर की विराट प्रवचनमालाएँ हुई हैं जिसमें हर रोज बीस-पच्चीस हजार लोगों की उपस्थिति देखी गई है।व