कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन
मा कर्मफलहेतुर्भुर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि
अर्थ:- तेरा कर्म करने में अधिकार है इनके फलो में नही. तू कर्म के फल प्रति असक्त न हो या कर्म न करने के प्रति प्रेरित न हो।
हिंदुओं का दुर्भाग्य:-मेरी बात शायद कुछ क्रिप्टो हिंदुओ को चुभ सकती है,परंतु सत्य तो सत्य है....?
हम हिंदुओ की आबादी हिंदुस्थान में लगभग 80 करोड़ है और हम आज भी हिंदू कहने में डरते हैं,और आज भी हमे यह सिद्ध करना पड़ता है कि ये देश हम हिंदुओं का है और हिंदू ही इस देश का मूल सनातनी है,फिर भी हम आज सड़कों पर,सोशल मीडिया पर,मंचो पर स्वयं को हिंदू साबित करने पर लगे हैं और गैर हिंदुओ से डर रहे है,क्यों आखिर क्यों...?
इसका मुख्य कारण है कि हम हिंदू अपने शास्त्रों से दूर हैं,अपनी शस्त्र कला से दूर हैं,अपने धर्म के प्रति कट्टर नहीं हैं,इसलिए धर्म के प्रति कट्टर बनो,शास्त्र का अध्ययन करो और शस्त्र में निपुण बनो...!
"हिंदू बनना सीखो"
कंधो से ऊंची छाती नही होती
धर्म से बढ़कर जाति नही होती
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