तो मैखाना है, मधुशाला है। यहां तो पियक्कड़ों की जमात है। ये रिंद बैठे हैं। यहां तो अदृश्य शराब पीई जा रही है, पिलाई जा रही है। अगर पीना हो, तो पीओ। और अगर हिम्मत हो, तो ही पी पाओगे। क्योंकि यहां किसी परंपरा की बात नहीं हो रही है। यहां शुद्ध सत्य की बात हो रही है।" Osho.