दस बल धारी तथागत भगवान बुद्ध ही इस पूरे ब्रह्मांड में अग्र हैं, श्रेष्ठ हैं और ज्येष्ठ हैं। ऐसा एक भी सत्व नहीं हैं इस संसार में जिसे तथागत के ऊपर स्थान दिया जा सके। न ही देवताओं के मुखिया इंद्र, और न ही ब्रह्माओं के मुखिया सननकुमार महाब्रह्मा को तथागत के ऊपर रखा जा सकता है। यहां तक कि इन की तुलना करने के बारे में भी नहीं सोचा जा सकता है। तथागत का ज्ञान तो अचिंतनीय है, विस्मित है, अदभुत है। वो तो देवताओं, ब्रह्माओं और मनुष्यों के गुरु हैं। सननकुमार महाब्रह्मा को ब्रह्म लोक से देव लोक आता देख सारे देवता अपने आसन से खड़े हो जाते हैं कि वो उनका आसान ग्रहण करेंगे। सननकुमार महाब्रह्मा अपना आसन ग्रहण करने के बाद देवताओं से भगवान बुद्ध के ज्ञान पर चर्चा करना शुरू करते हैं। ऐसे महान ब्रह्मा भी बुद्ध को दूर से ही देख कर अंजलीबद्ध हो हाथ जोड़ कर उनको प्रणाम करते हैं। अपने घुटने उनके सामने टेक देते हैं। उन तथागत अर्हंत की शरण जा कर अपना मंगल साध लेते हैं। इसलिए ही तथागत को तिलोक (त्रिलोक) गुरु कहते हैं।
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नमो बुद्धाऐ 🙏🌷☸️