यह चैनल भक्तमाल कथा को समर्पित है। मूलतः भक्तमाल की रचना श्री नाभादासजी ने गलता तीर्थ जयपुर के निकट की। इसकी टीका श्री प्रियादासजी ने लिखी जिसका नाम है "भक्ति रस बोधिनी"। भगवान श्री सीताराम जी भक्तमाल को वैसे ही प्रेम से श्रवण करते हैं जैसे हनुमान जी रामायण को। जो लोग भक्ति में तीव्र वृद्धि चाहते हैं वे भक्तमाल का नित्य श्रवण अवश्य करें। यह प्रत्येक युग में हुए भक्तों के जीवन चरित्रों का संकलन है।