विद्या धनं सर्वधनं प्रधानं👩💻
शिक्षा समाज की दर्पण होती है।एक शिक्षित व्यकि ही एक सभ्य समाज का निर्माण कर सकता है।इसलिए हम सभी का प्रथमिक कर्तव्य यही है कि सभ्य बने और सभी की शिक्षित कर सभ्य बनाएं।क्योकि संस्कृत में भी कहा गया है-
विद्यां ददाति विनयं,
विनयाद् याति पात्रताम्।
पात्रत्वात् धनमाप्नोति,
धनात् धर्मं ततः सुखम्॥
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