श्रीमद्भागवत उपासक
एवं श्रीमद्भागवत व राम कथा के सरस प्रवक्ता
यत्राधिक्षुत्र गायत्रीं वर्ण्यते धर्म विस्तर: ।
वृत्रासुर वधोपेतं तदवै भागवतं विदुः ।।
जीवन जीने की एक अद्धभुत शैली को बताते हुए यह महापुराण वैष्णवों का मुकुटमणि बना है । भगवान् श्रीकृष्ण का शब्दमय विग्रह, आध्यात्मिक रस की अलौकिक प्याऊ, असंतोष जीवन को शान्ति प्रदान करने वाला दिव्य अमृत रस, या यों कहिये नर को नारायण बनाने वाली दिव्य चेतना है श्रीमद्भागवत महापुराण । इसमें १२ स्कन्ध, ३३५ अध्याय एवं १८००० श्लोक हैं ।
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