सुखार्थं सर्वभूतानां मताः सर्वाः प्रवृत्तयः ।
सुखं नास्ति विना धर्मं तस्मात् धर्मपरो भव ॥
(अर्थात)
सब प्राणियों की प्रवृत्ति सुख के लिए होती है, और बिना धर्म के सुख मिलता नही । इसलिए, तू धर्मपरायण बन।🌹
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