Shreevallbhacharya Vidhyapeeth
महाप्रभु श्रीवल्लभाचार्यकी असीम कृपा एवं अथक परिश्रमके फलस्वरूप शुद्धाद्वैत पुष्टिभक्ति सम्प्रदाय आज ५३२ वें वर्षमें पदार्पण कर रहा है. महाप्रभु एवं प्राचीन-अर्वाचीन आचार्यवंशजों तथा शिष्यवर्ग के सम्मिलित प्रयासने शुद्धाद्वैत पुष्टिभक्ति सम्प्रदायको सुविचारित गहन तत्त्वदर्शन, विविधतापूर्ण प्रमाणसिद्ध साधनाप्रणाली तथा विपुल शास्त्र का सुदृढ आन्तरिक आधार प्रदान किया है. तदुपरान्त हमारा सम्प्रदाय चित्र, संगीत, पाक, वस्त्र, शिल्प, स्थापत्य, नृत्य आदि कलाओंसे भी सतत समृद्ध होता रहा है.
आज, किन्तु, सम्प्रदायकी स्थिति चिन्ताजनक है. जितनी समृद्ध विरासत पूर्वजोंने हमें प्रदान की थी आज उसके चौथाई भागको भी हम जीवन्त रख नहीं पाये हैं. सम्प्रदायके प्रति हमारी निष्ठाहीनता और प्रमाद हमारे पूर्वजोंके परिश्रमके ऊपर पानी फेर रहा है. ऐसेमें यदि हम आज-अभी जागृत नहीं होते हैं तो भविष्यमें कभी उठ नहीं पायेंगे.