उत्तराखंड राज्य के नैनीताल जिले में लाल कुआं तहसील की दक्षिणी दिशा में गौला नदी के किनारे जंगलों में पहाड़ के प्रवासी पशुपालकों की अस्थाई छोटी छोटी बस्तियांऔर गांव बसे हुए हैं। पहाड़ के प्रवासी पशुपालक जो लोग सर्दियों में यहां पैदल अपने जानवरों को चराने लाते थे और 3-4 माह यहाँ प्रवास करने के बाद फिर गर्मियां शुरू होते ही पहाड़ों को लौट जाते थे ,उनको साल 1900 से पहले यहां पर जंगलों की देखभाल और पशुपालन के उद्देश्य से बसाया गया था। इन लोगों का जीवन जीने के लिए संघर्ष एक उदाहरण है ।आज भी ऐसी विषम परिस्थितियों में जंगलों के बीच असुविधा के बीच तंगहाली गरीबी में सिर्फ पशुपालन पर निर्भर इन लोगों का जीवन आज थोड़ा सा मुख्यधारा में आता नजर आ रहा है। लेकिन जीवन जीने की मूलभूत सुविधाओं से आज भी लोग महरूम हैं।तो यहां पर इन खत्तों में जाकर यहां के लोगों की जिंदगी दिनचर्या और सहन सहन के बारे में थोड़ा जानकारी जुटाने का थोड़ा प्रयास किया है।
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C.S PANDEY
A FELLOW TRAVELLER