Visit Pauri | Dream Park : Motibag | सपनों का बाग पहाड़ी homestay रैबासा | Rural Tales
मोतीबाग रैबासा होमस्टे पौड़ी गढ़वाल के कलजीखाल ब्लॉक में स्थित है।यह पहाड़ी होमस्टे एक फार्म स्टे है।मोतीबाग की स्थापना 1967 में हुई।उस समय डॉ विद्या दत्त शर्मा ने अपनी सरकारी नौकरी छोड़ दी। नायाब तहसीलदार के पद से रिजाइन करने के बाद उन्होंने मोतीबाग की नींव रखी।1967में सबसे पहले सेब का बगीचा बनाया। साथ ही सब्जी उत्पादन भी शुरू कर दिया।शिमला मिर्च, मूली, बैगन, मटर सहित कई सब्जियों का उत्पादन किया पूरे प्रदेश में वो एक ऐसे किसान के रूप में प्रसिद्ध है जो पालयन के खिलाफ संघर्ष कर रहे है और युवाओं से लगातार अपील कर रहे है ।फिर उसके बाद मधुमक्खी पालन किया।इसी स्थान पर 26 किलो की मूली का उत्पादन किया। मोतीबाग पर एक डॉक्यूमेंट्री फ़िल्म बनाई गई। यह फ़िल्म ऑस्कर में नॉमिनेट हुई जिससे मोतीबाग की प्रसिद्ध पूरे दुनिया में फैल गई।
डॉ शर्मा का मूल मन्त्र है खेती वो कहते है आपके भगवान मंदिर में रहते है मेरे भगवान खेतो में रहते है। उम्र के इस पड़ाव में भी वो किसी युवा किसान की तरह करीब 10 घंटे से ज्यादा आपने बगीचे में खेती बाड़ी करते है।जब इस उम्र में अधिकतर बुजुर्ग कई बिमारियों से पीड़ित है तो डॉ शर्मा अपने आर्गेनिक खेती और सामान्य रहन सहन से नई नजीर पेश कर रहे है।
मोतीबाग में पहले माँडुवा, झींगोरा,गहत, सोयाबीन, भट्ट सहित कई दालों की बुआई की जाती लेकिन जंगली जानवरों के कारण अब डॉ विद्यादत्त शर्मा ने ऐसी फसलों को बोना शुरू कर दिया है जिसे जंगली जानवर नुकसान नहीं पहुँचाते है।
मोतीबाग में कई गुणों की खान टिमरू का उत्पादन किया जा रहा है। टिमरू को कुमाऊँ में तिमूर और नेपाली टिमूर कहते है इसका वैज्ञानिक नाम जेंथजाइलम अर्मेटस है।यह गुणकारी जड़ी बूटी के बीज,तना और जड़ सभी काम आते है। कई कंपनियाँ इससे दंत मंजन बनाती है।इसके बीज का प्रयोग मसाले में किया जाता है साथ इसे पूजनीय भी माना जाता है जो कि भैरव का प्रमुख अस्त्र है।
इसके आलावा यहाँ पर गेठी की खेती की जा रही है। यह कंद मूल पहाड़ों में कई स्थानों पर पाया जाता है।इसका वैज्ञानिक नाम डायोस्कोरिया बल्लीफेरा है।इसे संस्कृत में वरही कंद, मलयालम में कचिल, मराठी में दुक़्कर कंद, हिंदी में गेंठी गढ़वाली में गेंठी और अंग्रेजी में एयर पटाटो कहा जाता है।गेठी की तासीर गर्म होती है। यह पहाड़ों में 2000 मी तक ऊँचाई पर मिलता है। अभी तक इसकी खेती नहीं शुरू हुई यह एक बेल पौधा है जिसमें बड़ी संख्या में आलू के आकार के फल लगते है।गेंठी में ग्लूकोज,फाइबर, विटामिन बी, कॉपर, लोहा सहित कई मिनरल पाए जाए है। यह बीपी और मोटापे को नियंत्रित करता है
मोतिबाग में बडी संख्या में नीम्बू, माल्टा,अखरोट संतरा के बाग लगे है। इसके आलावा कुछ खेतों में माँडुवा, चौलाई, झींगोरा और कुछ दालें बोई हुई है।2020 में ऐसी स्थान पर पहाड़ी होम स्टे की स्थापना की गई है। जिसे पूरी तरह मिट्टी, पत्थर और लकड़ी का बनाया है। यहाँ आप पौड़ी शहर और कोटद्वार से जा सकते है।पौड़ी से मोतीबाग 30 km की दूरी पर है।
त्रिभुवन उनियाल (मोतीबाग रैबासा होमस्टे]
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