राधे राधे ,बांके बिहारी लाल की जय ,वृंदावन धाम की जय
कबीरदास जी अपने दोहों के माध्यम से यह बताते हैं कि ज्ञानी और प्रेमी व्यक्ति की कोई जाति नहीं होती है ज्ञानी व्यक्ति हमेशा अपने ज्ञान से समाज का कल्याण ही करता है। उदाहरण के रूप में कबीर दास जी बताते हैं जिस प्रकार मुसीबत के समय तलवार काम में आती है ना की तलवार को ढकने वाला मयान, उसी प्रकार से मुसीबत के समय समझदार व्यक्ति का ज्ञान ही काम में आता है ना कि उसकी जाति । कबीर दास जी के इसी भाग को लेकर आज हम एक ऐसे व्यक्ति से आपकी मुलाकात कराते हैं जो कि मुस्लिम धर्म के होकर भी सनातन धर्म का सम्मान करते हैं। इन्होंने अपनी पुस्तक में जाती पाती का भेद छोड़कर मनुष्य के जीवन का किस प्रकार से कल्याण हो यह बताते हुए नवयुवक पीढ़ी को क्या संदेश दिया है ......
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