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मूलाधार चक्र क्या होता है। What is Mooladhar Chakra? (Root Chakra) #MooladharChakra #RootChakra

Mann Mandir 7,039 4 years ago
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#MooladharChakra #Kundalini कुण्डलिनी शक्ति इसी चक्र में अवस्थित होती है। जीवन के प्रारम्भिक सातवें वर्षों में बालक की चेष्टाएं प्राय: इसी चक्र से प्रभावित होती। स्वयं में ही रत रहना तथा असुरक्षा बोध से ग्रस्त रहना इसका प्रबल प्रमाण है। मूलाधार चक्र के विशिष्ट प्रभाव में आया हुआ मनुष्य प्राय: दस से बारह घंटे तक रात्रि में पेट के बल सोता है। मोह, क्रोध, ईर्ष्या, घृणा, द्वेष, कामुकता, प्रजनन एवं माया-इसी चक्र के प्रभाव के ही अर्न्तगत आते हैं। स्वास्थ्य, बल, बुद्धि, स्वच्छता तथा पाचन शक्ति भी इसी चक्र से सम्बन्धित है। शरीर की धातुओं, उपधातुओं व चैतन्य शक्ति को इसी चक्र से बल मिलता है। शारीरिक मलिनता का इस चक्र की अशुद्धि से सीधा सम्बन्ध है। सांसारिक प्रगति और चैतन्यता का मूल यह चक्र मनुष्य के देवत्व की ओर किए जाने वाले विकास का आधार है। मूलाधार चक्र का स्थान सुषुम्ना मूल में गुदा से दो अंगुल आगे व उपस्थ से दो अंगुल पीछे 'सीवनी' के मध्य में है। मूलबन्ध लगाते समय इसी प्रदेश को पैर की एड़ी से दबाया जाता है। नीचे की ओर चलने वाली अपान वायु का यह मुख्य स्थान है। इसका सम्बन्धित लोक भूलोक' है। पंच महाभूतों में यह पृथ्वी तत्त्व का प्रतिनिधित्व करता है, क्योंकि यह चक्र पृथ्वी तत्त्व का मुख्य स्थान है। पृथ्वी तत्त्व से सम्बन्धित होने के कारण इसका प्रधान ज्ञान अथवा गुण 'गन्ध' है। अत: इसकी कर्मेन्द्रिय गुदा और ज्ञानेन्द्रिय नासिका है। इसका तत्त्वरूप चतुष्कोण चतुर्भुज (वर्गाकार) है, जो सुनहरे अथवा भूमिपीत वर्ण का है। इसकी यन्त्राकृति पीत वर्ण चतुष्कोण है, जो रक्त वर्ण से प्रकाशित चार पंखुड़ियों/दलों से युक्त है। सुरक्षा, शरण और भोजन इस चक्र के प्रधान भौतिक गुण हैं। इस चक्र का तत्त्व बीच 'लं' है, जो इसकी बीज ध्वनि का सूचक है। कमल दल ध्वनियां क्रमश: वं, शं, षं और सं हैं जो इसकी पंखुड़ियों के अक्षर हैं। इसके तत्त्व बीज का वाहन ऐरावत हाथी है। (जिस पर इन्द्र विराजमान हैं)। जो इसकी सामने की ओर की बीजगति को दर्शाता है। इस चक्र के अधिपति देवता चतुर्भुज ब्रह्मा हैं, और उनकी शक्ति चतुर्भुज डाकिनी भी साथ हैं जो चक्र की शक्ति की सूचक है। इस चक्र के अधिकारी गणेश हैं तथा इसका बीज वर्ण स्वर्णिम है। अतः यन्त्राकृति व तत्त्वरूप में पीतवर्ण के साथ स्वर्ण-सी आभा भी रहती है। इस चक्र पर ध्यान के समय प्रयुक्त होने वाली कर मुद्रा में अंगूठे तथा कनिष्ठा अंगुली के सिरों को दबाया जाता है, जिसके प्रभाव में चैतन्य का मानवीकरण होता है। ध्यान के समय जब मूलाधार की तत्त्वबीज ध्वनि 'लं' का शुद्ध रूप से बार- बार उच्चारण किया जाता है तो 'लं' उच्चारण से उत्पन्न होने वाली विशेष तरंगें मूलाधार की नाड़ियों को उत्तेजित करती हैं तथा उर्ध्व मस्तिष्क को तरंगित करती हैं। परिणामस्वरूप शक्ति के अधोगति में अवरोध उत्पन्न होकर शक्ति उर्ध्वगति (ऊपर की ओर गति करने वाली) होती है जिससे मूल आधार के प्रभावों-असुरक्षा, भय आदि का लोप होता है तथा मनोबल की प्राप्ति होती है। कुछ विद्वान इसे 'यौनचक्र' भी कहते हैं। योग मार्ग पर न जाने वाले साधकों के लिए भी मूलबन्ध का अभ्यास लाभकारी है। Subscribe "Mann Mandir" channel for complete Sadhana Marg darshan. Like and share to show your love🌻💐❤️ •••भय केवल आने वाले दुख की कल्पना है https://youtu.be/UbX6QXPsBRA •••शक्तिशाली महालक्ष्मी साधना मंत्र || Mahalaxmi Powerful Mantra https://youtu.be/9opvu_jm2Qc •••मौन साधना से सिद्धि कैसे प्राप्त करे https://youtu.be/e4FIzEP6bKY •••क्लीं बीज मंत्र साधना || Kleem Beeja Mantra https://youtu.be/y1guteEfOwY •••कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र | Kalabhairava Ashtakam Lyrics In Hindi https://youtu.be/W-lC5acnDCk •••ऋग्वेद संपूर्ण | Rigveda Complete (Hindi) https://youtu.be/7oPNn5oe0fA •••सिर्फ एक Shiv Mantra और आपका जीवन सफल (Shiv Mahapuran) https://youtu.be/2ElQgsGgLBo •••कामकलाकाली स्तोत्र की सिद्धि कैसे प्राप्त करे https://youtu.be/TkDwU3no3dU धन कितना आयेगा पता नही पर कभी गरीबी नहीं आयेगी https://mann-mandir.blogspot.com/2021/07/blog-post_53.html Mann Mandir Blog:- https://mann-mandir.blogspot.com/

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