सातवाहनों को कितना जानते हैं आप? भारत देश के इतिहास लेखकों ने सातवाहन शासन, इसके गौरव, विस्तार और उपलब्धियों की चर्चा करने में कंजूसी का ही परिचय दिया है। मौर्य शासन के पतन के पश्चात राजनैतिक अस्थिरता हुई, यह बात पूर्ण सत्य नहीं है चूंकि शुंगों और कण्वों ने सम्मिलित रूप से लगभग पौने दो सौ वर्षों तक शासन किया जो कि एक दीर्घावधि है। आखिरी के मौर्यों की निर्बलता और प्रशासन में अरुचि का लाभ शुंगों ने उठाया, अंतिम शुंग की विलासिता ने उसके पतन की कहानी लिखी और कण्व शासन में आये। उनके शासन का अंत कर जिस सिमुक ने मगध के सिंहासन पर अधिकार किया वह सातवाहनों के उत्कर्ष का बनता है। प्रश्न उठता है कि ऐसा प्रशासन जो 28 ईसापूर्व से आरम्भ हो कर ईस्वी सन की तीसरी शताब्दि के मध्यकाल तक कायम था, आज भी अल्पज्ञात, अल्पचर्चित और पाठ्यपुस्तकों की विवेचनाओं से अनुपस्थित क्यों है? संभवत: इसका उत्तर वे एजेंडे हैं जो उन गौरवशालिताओं को चर्चा में आने ही नहीं देना चाहते जिससे कि भारतीय अतीत को उनका लगाया गया पराजय और पिछडेपन का ठप्पा कायम रहे।
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