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सत्संग २१ : जीव, त्रिज्ञान, अकर्ता, साक्षीभाव, मेरा अनुभव, अद्वैत, भय

तुरीय 76 lượt xem 3 days ago
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सत्संग अवसर है सभी साधकों के लिए जहाँ आप स्वयं के आध्यात्मिक यात्रा और ज्ञानमार्ग से संबंधित प्रश्नों को पूछ सकते हैं।
१ ) सत्संग हर शनिवार रात ९-१० (भारतीय मानक समय) बजे होता है। आप टेलीग्राम एप पर @bodhivarta समूह से जुड़ सकते हैं सत्संग यहीं से संचालित होता है।
२) त्रिज्ञान के लिए आप यहाँ अपना नाम यहाँ पंजीकृत करवा सकते हैं https://gyanmarg.guru/3d/ या मुझे सीधे संदेश भेज सकते है टेलीग्राम पर @Turiyateet

आज के सत्संग में निम्न प्रश्नों पर चर्चा की गयी है।
१) अगर जीव भी माया है तो कैसे कह सकते हैं कि सभी अनुभव भी माया है। माया ही माया को कैसे जान सकती है ?
२) त्रिज्ञान से क्या फायदा हो सकता है ?
३) विचारों को कोन भेजता है या कहें विचार क्यों आते है ?
४) साक्षीभाव में रहने के लिए स्वयं को देखते हुए क्या विचार रखें या क्या कहें खुद से ?
५ ) दृष्टा होकर कर्तव्य कैसे होगा, क्यूकी कर्तव्य में तो कर्ता आ गया, फिर कर्तव्य की बात क्यों की जाती हैं ?
६) कारण प्रभाव कैसे होता है ?
७) मुझे मेरा अनुभव कैसे हो सकता है ?
८) मनन जरूरी है क्या ज्ञान होने के लिए ?
९) अनुभव और अनुभवकर्ता दोनों एक ही है तो दोनों में भिन्नता कैसे दिखती है ?
१०) चित्त से भय की वृत्ति कैसे हटा सकते हैं ?

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