अर्चना पैन्यूली की कहानी-खुल कर कहूँगी कि मैं गे हूँ
Story by Archana painuly
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हिन्दी कहानी
#स्वर-सीमासिंह
अर्चना पैन्यूली
अर्चना पैन्यूली मूल रूप से उत्तराखंड की राजधानी देहरादून से हैं और 1997 से डेनमार्क में निवास कर रही हैं, जहां वे नॉर्थ सीलैंड इंटरनेशनल स्कूल में अध्यापन कर रही हैं। वह एक प्रतिष्ठित हिंदी लेखिका हैं, जिन्होंने हिंदी कथा साहित्य में अपनी विशेष पहचान बनाई है। उनकी रचनाओं में स्कैंडिनेवियन प्रायद्वीप, विशेष रूप से डेनमार्क, के मानव जीवन और सामाजिक, राजनीतिक, तथा भौगोलिक व्यवस्था का गहन चित्रण मिलता है।
अब तक, उनकी नौ पुस्तकें भारतीय ज्ञानपीठ, राजपाल, प्रभात, और रूपा पब्लिकेशन्स जैसे प्रमुख प्रकाशकों द्वारा प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्होंने डेनिश रचनाओं का हिंदी में अनुवाद भी किया है। इसके अतिरिक्त, उनका नया उपन्यास वाणी प्रकाशन से आने वाला है, और पुस्तकनामा द्वारा उनका कहानी संग्रह भी शीघ्र ही प्रकाशित होने वाला है। उन्हें केन्द्रीय हिंदी संस्थान द्वारा पद्मभूषण डॉ. मोटूरि सत्यनारायण पुरस्कार, मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान तथा उपन्यास ‘वेयर डू आई बिलांग’ के लिए राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त मैमोरियल ट्रस्ट द्वारा राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।