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।। जय चक्रधारी ।।
आज बात करते हैं तेल पर ।
जहाँ ले देकर, अंग्रेज़ो के पास एक ही तेल हैं - "जैतून का तेल", वही दूसरी ओर हमारे पास - तिल का तेल, मूंगफली का तेल, सरसों का तेल, अरंडी का तेल, अलसी का तेल, सूरजमुखी का तेल, नारियल का तेल, बादाम का तेल, महुवे का तेल, कलौंजी का तेल, अखरोट का तेल, काजू का तेल इत्यादि हैं ।
जहा रिफाइंड तेल - बहुत खतरनाक - वही सामान्य विधि से निकला तेल - घानी का तेल - शरीर के लिए अमृत हैं ।
जहा असली तेल में - प्रोटीन, विटामिन्स इत्यादि भरपूर हैं,
वहीँ रिफाइंड में - कैंसर, शुगर, दमा, सरदर्द, किडनी का ख़राब होना, हार्ट अटैक, पाचन तंत्र का ख़राब हो जाना, नींद ना आना, अल्सर, पाइल्स, आदि रोग सामान्य सी बात है ।
पहले तो सारी घाणियां हटवादी - फिर कम्पनिये ने खेल खेला - अपना नकली तेल बेच बेच कर. अब जब बीमार होने लगे, तो इसी घानी के तेल को नया नाम देकर - " EXTRA VIRGIN OIL " नाम से - 2000 -2500/- प्रति किलो के हिसाब से बेच दिया जाता है ।
और आपको पता भी नहीं चलता ।
जहाँ भारत के आयुर्वेद के ऋषि आपको इतना ज्ञान देकर गए, क्या हमे उस ज्ञान को लेकर पुनः अपना स्वास्थय नहीं संजोना चाहिए ??
बिलकुल संजोना चाहिए ।
ऋषियों का ज्ञान इतना बढ़कर रहा, के तेल खाने से तो स्वास्थय आता ही है - तेल का दीपक जलाने से भी समाज का कल्याण होता है, तेल का दान देने से भी समः का कल्याण, यहाँ तक की अधिकतर नवरत्नों को भी - यही असली तेल पीला कर, ऊर्जावान बनाया जाता है । पूरी दुनिया में ऐसा विज्ञान ढूंढने से ना मिले ।
आपको नज़र लगी है - 7 बार वार कर, सरसों के तेल का दीपक जला दीजिये ।
घर में आर्थिक तंगी है - पीपल के वृक्ष के निचे - शाम सरसों का दीपक जलना शुरू कर दीजिये ।
आप राजनीतिक क्षेत्र में नाम कमान चाहते हैं - सफ़ेद आंकड़े के निचे, तिल के तेल का दीपक जलना आरम्भ कर दीजिये ।
आप बीमारी से परेशान है - रोटी पर तिल के तेल से - ॐ बना कर - भैसे को खिलाना आरम्भ कर दीजिये ।
कोलेस्ट्रॉल से परेशां हैं - ऊपर से १ चम्मच रोज असली का तेल खाइये ।
पाचन तंत्र में दिक्कत है - रोज १ चम्मच - तिल का तेल खाइये ।
वात रोग से पीड़ित हैं - नारियल तेल ऊपर से डालकर खाइये ।
तेल खाना तो ठीक है, आपके मन में यह भी प्रश्न आ सकता है, के तेल से दिनमान कैसे सही होंगे भला?
तो ऐसा है - यह सभ्यता - अधिक से अधिक जीवो का कल्याण चाहती है । और आपकी किसी भी क्रिया से यदि जगत को लाभ होता है, तो मान कर चलिए आपके जीवन में खुशिया आने से पीछे नहीं हटेंगी ।
जैसे - सरसों का तेल - पीपल वृक्ष के निचे जलाने से - २४ घंटे बहती ऑक्सीजन में दीपक जलाया - तो वातावरण शुद्ध होता है - और उस शुद्धता को श्वास के माध्यम से - प्रत्येक प्राणी लेता है । इतना तार्किक विज्ञान और कहा हो भला ।
गौरव की बात हैं, हम भारत में जन्मे, ऐसी सभ्यता में - जिसका कोई मुकाबला नहीं ।
निर्णय आप पर है - के अपनी संस्कृति का सम्मान कर, आप कहाँ तक कर लाभ लेते हैं ।
।। ॐ का झंडा ऊँचा रहे ।।