मथुरा में श्रीकृष्ण और उनके चचेरे भाई उद्धव के बीच वार्तालाप हो रहा है। विषय यह है कि श्रीकृष्ण को गोकुल की स्मृतियाँ सता रही हैं और उद्धव का कहना है कि श्रीकृष्ण गोकुल की गोपियों को मोहमाया के बधन में छोड़कर आये हैं, इस कारण वे उनकी स्मृतियों में आ रही हैं। उद्धव श्रीकृष्ण को समझाते हैं कि यदि आप गोपियों का कल्याण चाहते हैं तो उन्हें मोह के अंधकार से बाहर निकाल कर, ज्ञान का प्रकाश प्रदान करो। उद्धव अब उपदेश की भाषा बोलने लगते हैं। वह श्रीकृष्ण से कहते हैं कि आपको गोकुल छोड़ने से पहले गोपियों को वास्तविक निराकार ब्रह्म का ज्ञान देना चाहिये था ताकि उन्हें सांसारिक मोहमाया से मुक्ति मिलती किन्तु आपने ऐसा न करके उनके साथ अन्याय किया है। श्रीकृष्ण समझ जाते हैं कि उद्धव को अपने ज्ञान का अहंकार हो गया है और वह उद्धव को प्रेमाभक्ति से आमना सामना कराने का निर्णय लेते हैं। श्रीकृष्ण उद्धव से कहते हैं कि इस समय धरती पर आपसे बड़ा ज्ञानी नहीं है इसलिये आप ही जाकर गोपियों को ब्रह्मज्ञान प्रदान करें और उनका उद्धार कर दें। उद्धव श्री कृष्ण की बात मान लेते हैं किन्तु एक समस्या रखते हैं कि वृन्दावन में गोपिकाऐं विश्वास कैसे करेंगी कि आपने मुझे उनके पास योगज्ञान और ब्रह्मज्ञान देने भेजा है। तब श्रीकृष्ण गोपिकाओं के नाम एक पत्र लिखकर उद्धव को देते हैं। उद्धव रथ पर आरूढ़ होकर गोकुल के लिये प्रस्थान करते हैं। उनके कुछ दूर जाते ही श्रीकृष्ण को स्मरण आता है कि वह नन्द बाबा और यशोदा मैया के लिये तो सन्देश देना भूल गये हैं। तब वह अपना दैहिक रूप वहीं राजमहल के द्वार पर छोड़कर अपने दिव्य स्वरूप को उद्धव के रथ के समीप ले जाते हैं। श्रीकृष्ण उद्धव से कहते हैं कि जब आप बृज में मेरी यशोदा मैया से मिलें तो यह अवश्य कहें कि उनका कान्हा जल्दी ही वापस आयेगा और उनके हाथ का माखन खायेगा। और नन्द बाबा से कहें कि कृष्ण की पहचान उनसे ही है। मथुरा में भी सब मुझे नन्दलाल पुकारते हैं। उद्धव बृजधाम पहुँचते हैं। सभी गोपिकाऐं उनके रथ के सामने आ खड़ी होती हैं। उद्धव के हाथ में जो पत्र हैं, प्रेम के वशीभूत गोपिकाओं को उसमें श्रीकृष्ण की मनोहारी छटा के दर्शन होते हैं। कुछ गोपियां रथ पर चढ़कर उद्धव के हाथ से पत्र छीनने का प्रयास करती हैं। सबके मुख पर एक ही वाक्य है कि कान्हा ने उनके लिये क्या लिखा है। गोपियों की इस अधीरता के सामने उद्धव का सारा ज्ञान धरा रह जाता है और वह चिठ्ठी फट जायेगी, चिठ्ठी फट जायेगी, चिल्लाते रह जाते हैं। अन्ततः गोपिकाऐं उद्धव के हाथों से चिठ्ठी छीन लेती हैं। हर गोपिका एक ही बात पूछती है कि क्या कान्हा ने अपनी चिठ्ठी में मेरा नाम लिखा है। प्रेमातिरेक में उनकी ऑंखों से अश्रु बहते हैं जिनकी बूंदें पत्र पर भी गिरती हैं। उद्धव गोपिकाओें पर नाराज होते हैं कि उनके ऑंसुओं से चिठ्ठी के सारे अक्षर धुल जायेंगे। उद्धव चीखते चिल्लाते रह जाते हैं और गोपिकाओं की आपसी खींचतान में श्रीकृष्ण के पत्र के टुकड़े टुकड़े हो जाते हैं। जिसके हाथ में जो टुकड़ा आता है। वह उसे लेकर भाग जाती है। हर गोपिका एक टुकड़ा हाथ में लेकर उपवन के अलग अलग भाग में खड़ी है। प्रीतम की पाती को कभी वे अपने वक्ष से लगाती हैं तो कभी नयनों से। उनकी ऑंखों से प्रेम के ऑंसू बहते हैं। अपने कान्हा की निशानी मान कर कभी वे इसे चूमती हैं तो कभी रूमाल बनाकर नयनों से बहते नीर को पोंछतीं हैं। कान्हा की चिठ्ठी तार तार हो चुकी है लेकिन उसका हर टुकड़ा हर एक गोपी के हाथ में ऐसे है, मानो उन सबने अपने प्रीतम के प्यार को आपस में थोड़ा-थोड़ा बाँट लिया हो। उद्धव अवाक् खड़े होकर देखते रह जाते हैं किन्तु कुछ नहीं कर पाते। मेरे कान्हा की चिठ्ठी, मेरे कान्हा की चिठ्ठी के हर ओर गूँजते स्वर को सुनकर अब उद्धव स्वयं को रोक नहीं पाते और जबरन सभी के हाथों से चिठ्ठी के टुकड़े एकत्र कर लेते हैं और बहुत ही रूखे स्वर में कहते हैं कि इस चिठ्ठी में किसी का नाम नहीं लिखा है। एक गोपी पूछती है कि क्या राधा का नाम भी नहीं लिखा है। उद्धव का उत्तर ना में होता है। उद्धव जिस कठोर स्वर में यह बात कहते हैं, गोपिकाऐं सुनकर स्तब्ध रह जाती हैं।
श्रीकृष्णा, रामानंद सागर द्वारा निर्देशित एक भारतीय टेलीविजन धारावाहिक है। मूल रूप से इस श्रृंखला का दूरदर्शन पर साप्ताहिक प्रसारण किया जाता था। यह धारावाहिक कृष्ण के जीवन से सम्बंधित कहानियों पर आधारित है। गर्ग संहिता , पद्म पुराण , ब्रह्मवैवर्त पुराण अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण , महाभारत , भागवत पुराण , भगवद्गीता आदि पर बना धारावाहिक है सीरियल की पटकथा, स्क्रिप्ट एवं काव्य में बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग के अध्यक्ष डॉ विष्णु विराट जी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसे सर्वप्रथम दूरदर्शन के मेट्रो चैनल पर प्रसारित 1993 को किया गया था जो 1996 तक चला, 221 एपिसोड का यह धारावाहिक बाद में दूरदर्शन के डीडी नेशनल पर टेलीकास्ट हुआ, रामायण व महाभारत के बाद इसने टी आर पी के मामले में इसने दोनों धारावाहिकों को पीछे छोड़ दिया था,इसका पुनः जनता की मांग पर प्रसारण कोरोना महामारी 2020 में लॉकडाउन के दौरान रामायण श्रृंखला समाप्त होने के बाद ०३ मई से डीडी नेशनल पर किया जा रहा है, TRP के मामले में २१ वें हफ्ते तक यह सीरियल नम्बर १ पर कायम रहा।
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