कुणाल कामरा ने भी भारत के उद्योगपतियों पर तंज किया था, उनके प्रोडक्ट पर, उनके रिसर्च पर और चीन के AI डीपसीक से तुलना की थी। उद्योग जगत के लोग चुप रह गए। पीयूष गोयल ने स्टार्ट अप को लेकर यही बात कह दी तो लोग भड़क गए। यहां तक कि पीयूष गोयल ने भी अपनी सफाई दे दी कि उनकी बात को ग़लत समझा गया। जबकि भारत की कंपनियों, उनके उत्पादन, उनके यहां काम करने का माहौल, सैलरी इन सबकी तुलना ग्लोबल मानक से होनी चाहिए थी। इस पर बात होनी चाहिए कि क्यों हमारा उद्योग जगत नया नहीं बनाता। डिलिवरी एप तक ही सीमित है। क्या यह सही नहीं है कि भारत के उद्योगपति ग्लोबल कंपनियों को टक्कर देेने वाली कंपनी नहीं बना सके।
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