द्रौपदी का चीरहरण: महाभारत का काला अध्याय जब धर्मराज ने भी धर्म का साथ छोड़ा? | Premanand Ji Maharaj
महाभारत का सबसे बड़ा रहस्य द्रौपदी का चीरहरण
महाभारत का सबसे दुखद और शर्मनाक अध्याय – द्रौपदी का चीरहरण। यह वह क्षण था जब पूरी सभा मौन थी, धर्मराज युधिष्ठिर असहाय थे, भीष्म पितामह धर्मसंकट में थे, और अधर्म अपने चरम पर था।क्या सच में धर्मराज युधिष्ठिर ने भी उस दिन धर्म का साथ छोड़ दिया था? द्रौपदी चीरहरण महाभारत का सबसे दुखद और शर्मनाक अध्याय था, जहाँ पूरी सभा मौन थी, न्याय और धर्म की सारी सीमाएँ टूट चुकी थीं। जिस युधिष्ठिर को धर्मराज कहा जाता था, वही अपनी पत्नी को जुए में हार चुके थे। क्या यह धर्म था? क्या यह न्याय था?
इस वीडियो में जानिए:
🔸 द्रौपदी चीरहरण की पूरी कहानी और उसके पीछे के कारण
🔸 युधिष्ठिर के निर्णय – क्या वे सच में धर्म के मार्ग पर थे?
🔸 सभा में मौजूद महान योद्धाओं की चुप्पी क्यों?
🔸 श्रीकृष्ण की कृपा से कैसे बची द्रौपदी की लाज?
🔸 क्या यही घटना महाभारत युद्ध का मुख्य कारण बनी?
यह घटना केवल एक महिला के अपमान की नहीं, बल्कि उस समय के समाज की नैतिकता और अधर्म के बढ़ते प्रभाव की कहानी है। आइए, इस वीडियो में इस ऐतिहासिक घटना को गहराई से समझते हैं।
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