उत्तराखंड में नाथपंथी साधु और सिद्ध योगी बाबा नरसिंह के चार रूपों की भी पूजा की जाती है इनमें मुख्य रूप से दूधिया नरसिंह, कच्या नरसिंह, डौंडिया नरसिंह, खरंडा नरसिंह है। इन सभी नरसिंह में सबसे शांत रूप दूधिया नरसिंह का और सबसे क्रोधी और उग्र रूप डौंडिया नरसिंह का बताया गया है। कच्या और खरंडा नरसिंह दूधिया और डौंडिया नरसिंह के साथ रहने वाले वीर भैरव नाथ के रूप बताए गए हैं। दूधाधारी रूप उत्तराखंड में शांत माना गया है जिनकी पूजा रोट और दूध से की जाती है। जबकि वहीं डौंडिया उग्र रूप माना गया है जिनकी पूजा में किसी प्रकार की बलि का प्रयोग करना पड़ता है। यह न्याय के देवता माने जाते हैं और किसी भी प्रकार के अन्याय होने पर भक्तों द्वारा इनकी गुहार लगाई जाती है और गुहार लगाने के बाद इनको पूजा दी जाती है।नरसिंह देवता महिलाओं पर होने वाले अत्याचार यानी कि बहनों पर होने वाले अत्याचार को सहन नहीं कर पाते हैं वह हर वक्त उनकी रक्षा में खड़े रहते हैं। उत्तराखंड में इनके शांत रूप को घर के अंदर एवं उग्र रूप को घर के बाहर पूजा जाता है और इन्हें यहां थान देवता की संज्ञा मिली है। इनके स्थान पर एक टिमरू का डंडा, नेपाली चिमटा, और खरवा की झोली रखी जाती है जो कि इनको बहुत प्रिय है।