दीक्षा दानं तपस्तीर्थं ज्ञानं यागादिका क्रिया | महिम्न: स्तव पाठस्व कलां नार्हन्ती षोडशीम् || यथा :- शिव महिम्न: के पाठ के माहात्म्य वर्णन शब्दों नहीं किया जा सकता | अस्तु |