94 लाख करोड़ रुपये निवेशकों के डूब गए, प्रधानमंत्री को फ़िक्र है या नहीं
भारत के शेयर बाज़ार में गिरावट का दौर जारी है। एक अरब लोगों के पास उपभोक्ता सामान खरीदने की क्षमता नहीं है। दस साल में मोदी सरकार ने क्या किया कि भारत की जनता के हाथ से पूंजी ग़ायब हो गई। क्या नोटबंदी का असर अभी तक जारी है? हर दिन बाज़ार नीचे जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी कभी बागेश्वर धाम तो कभी सोमनाथ तो कभी संगम तो कभी सफारी कर रहे हैं। क्या उन्हें बोलना नहीं चाहिए कि वे इस बाज़ार को किस नज़र से देख रहे हैं? लोगों की पूंजी डूब गई, आप कैसे उन्हें भगवान के भरोसे छोड़ सकते हैं?
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