भरत मिलाप
“रघुवर दीजो तव पदरजसंकेत” यह बंदिश बनी तो केवल 'राम-भरत मिलाप' की घटना के आधार पर। राम की अनुपस्थिति में राज्य का कारोबार सँभाल रहे छोटे भाई भरत अपने बड़े भैया के विरह में व्याकुल होकर उन्हें मिलने आते हैं, और उनका बहुत ही भावभीना मिलाप वन में राम-सीता की कुटिया में होता है। कुछ दिनों बाद, मैं अपने रियाज में राग मियाँ की तोडी की पारंपरिक बंदिश 'राज करो' (जो मुझे पई गुरुजी ने सिखाई थी) गा रही थी। “राज करो तुम या नगरी में, बसन को चवाव कर। आनंद मंगल गावे तेहारे, सफल बेल फलो तुम।" शायद यह पारंपरिक बंदिश उस ज़माने के किसी दरबारगायक ने अपने राजा के लिए कही है। जब इसकी जोड़ बंदिश के रूप मे 'रघुवर दीज्यो....” मैंने गाई, तो मेरे मन में एक कहानी उभर आई --- ऐसा लगा जैसे दोनों एक-दूसरे के लिए कही गई है।
बनवास गए प्रभु रामचंद्र को छोटे भैया भरत मिलने जाते हैं... श्रीराम उनसे 'राज' की हालचाल पूछकर यह आशीर्वाद देते है:
'“राज करो तुम या नगरी मे’।
इसपर भरत कहते हैं:
"रघुवर दीज्यो तव पदरजसंकेत, जिन अधारपर राखूँ अपनो धीरज बँधाए।
तुमबिन नीको न लागे, अवध नगर मोको,
महाकठिन राज करन, तुम बिन हे जेठ भ्राता!'
Credits
Vocals: Dr. Ashwini Bhide Deshpande
Tabla: Siddarth Padiyar
Harmonium: Dnyaneshwar Sonawane
Tanpura: Megha Bhatt, Swarali Joshi
Creative Ideation: Amol Mategaonkar
Audio Recording & Mixing: Amol Mategaonkar
Video Shooting and Editing: Amol Mategaonkar, Kannan Reddy
Color Grading: Kannan Reddy
Special Thanks to: Raja Deshpande
Recorded at : Naadbrahma, Thane
Opening Title Photo Credit: Varsha Panwar
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