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उत्तर रामायण -EP 37- रामायण गायन में लवकुश ने दिया अपना परिचय। राम ने माँगा ने पुत्र होने का प्रमाण।

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"Uttar Ramayan - Episode 37 - Luvkush introduced himself in Ramayana singing. Ram asked for proof of being a son.

लवकुश राम दरबार में महर्षि वाल्मीकि रचित रामायण का गान करते हैं। पूरी सभा बालकाण्ड से लंका काण्ड तक के सभी प्रसंग मंत्रमुग्ध होकर सुनती हैं। किन्तु जैसे ही वह सीता परित्याग के प्रसंग को सुनाते हैं, पूरी सभा में स्तब्धता छा जाती है। लवकुश बारी बारी राम, उनके अनुजों, तीनों माताओं और गुरु वशिष्ठ को धिक्कारने के अन्दाज में पूछते हैं कि उस समय उनमें से कोई भी सीता का सहायक क्यों नहीं बना। वह पूरी प्रजा को मानवता विरोधी करार देते हैं और महर्षि वाल्मीकि द्वारा सीता को आश्रय देने के रहस्य का खुलासा करते हैं। लवकुश गाकर बताते हैं कि वाल्मीकि आश्रम में सीता ने दो रामपुत्रों को जन्म दिया है और किस प्रकार वह अपने कुल के गौरव और स्वाभिमान की रक्षा करते हुए उनका लालन पालन करती है। लवकुश करुण झाँकी का वर्णन करते हैं कि सीता जो एक राजा की पुत्री, एक राजा की पुत्रवधू और एक राजा की पत्नी है, वनवास के दुखों को भोगते हुए और अपने समस्त कार्य अपने हाथ से करते हुए ,अपने सन्तान को स्वावलम्बी बनने की शिक्षा दे रही है। इसके बाद दोनों बालक यह भी बताते हैं कि वे स्वयं सीता और राम की सन्तान हैं और उनके नाम लव कुश हैं। यह सुनकर पूरे दरबार में सुखद आश्चर्य की लहर दौड़ जाती है। किन्तु राम तो राजधर्म पालक और मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। वह भरी राजसभा में लवकुश से प्रमाण माँगते हैं और कहते हैं यह प्रमाण उनकी माता को देना होगा। राजसभा में दरबारियों के दो पक्ष हो जाते हैं। एक पक्ष का मत सीता से क्षमा माँगकर उन्हें राजमहल में वापस लाने का है लेकिन दूसरा पक्ष माँग करता है कि सीता राजसभा में आकर शपथपूर्वक अपनी पवित्रता की शपथ लें। राम कहते हैं कि उन्हें सीता की पवित्रता पर विश्वास है किन्तु राजसिंहासन की उच्च मर्यादा स्थापित रखने के लिये अगले दिन सीता दरबार में आकर पवित्रता की शपथ लें तभी वह राजसिंहासन पर उनके बगल में आसीन होंगी। महर्षि वाल्मीकि इसे स्त्री होने की विडम्बना मानते हैं। माता कौशल्या तो राम को लताड़ भी लगाती हैं। वाल्मीकि सीता को राजसभा में शपथ लेने के लिये राजी करते हैं। वह कहते हैं कि इससे प्रजा के बीच में फैला अपवाद पूर्णतया मिट जायेगा। किन्तु सीता की आत्मा बहुत आहत है। वह कहती हैं कि राज सभा वह इस प्रकार शपथ लेंगी कि फिर यह अपवाद कभी नहीं उठेगा। सीता की वाणी ऐसी है मानों वह मन ही मन कोई कठोर निर्णय ले चुकी हैं। अगले दिन महर्षि वाल्मीकि सीता और लवकुश के साथ राम दरबार में पहुँचते हैं। वाल्मीकि कहते हैं कि सीता शपथ अवश्य लेंगी किन्तु इसके पहले वह प्रमाणपूर्वक कहते हैं कि लवकुश राम के ही पुत्र हैं और यदि सीता में कोई दोष हो तो उनकी वर्षों की तपस्या निष्फल हो जाये। वाल्मीकि कहते हैं कि अपने तपोबल से सीता के सतीत्व की जाँच करने के उपरान्त ही उन्होंने उन्हें आश्रम में प्रवेश दिया था। वाल्मीकि राम से सीता को राजसिंहासन में स्थान देने की संस्तुति करते हैं।

उत्तर रामायण में लव कुश की कहानी को दर्शाया गया है। जिसमें माँ सीता को श्री राम त्याग देते हैं और माँ सीता महाऋषि वाल्मीकि के आश्रम में जाकर रहने लगती हैं। माँ सीता वहाँ लव कुश को जन्म देती हैं। लव कुश उसी आश्रम में बड़े होते हैं और गुरु वाल्मीकि से शिक्षा दीक्षा लेते हैं। कैसे लव कुश श्री राम और माँ सीता को मिलाते हैं देखे सम्पूर्ण उत्तर रामायण के सभी एपिसोड सिर्फ़ तिलक YouTube चैनल पर।

रामायण एक भारतीय टेलीविजन श्रृंखला है जो इसी नाम के प्राचीन भारतीय संस्कृत महाकाव्य पर आधारित है। यह श्रृंखला मूल रूप से 1987 और 1988 के बीच दूरदर्शन पर प्रसारित हुई थी।
इस श्रृंखला के निर्माण, लेखन और निर्देशन का श्रेय श्री रामानंद सागर को जाता है। यह श्रृंखला मुख्य रूप से वाल्मीकि रचित 'रामायण' और तुलसीदास रचित 'रामचरितमानस' पर आधारित है।

निर्माता और निर्देशक - रामानंद सागर
सहयोगी निर्देशक - आनंद सागर, मोती सागर
कार्यकारी निर्माता - सुभाष सागर, प्रेम सागर
मुख्य तकनीकी सलाहकार - ज्योति सागर
पटकथा और संवाद - रामानंद सागर
संगीत - रविंद्र जैन
शीर्षक गीत - जयदेव
अनुसंधान और अनुकूलन - फनी मजूमदार, विष्णु मेहरोत्रा
संपादक - सुभाष सहगल
कैमरामैन - अजीत नाइक
प्रकाश - राम मडिक्कर
साउंड रिकॉर्डिस्ट - श्रीपाद, ई रुद्र
वीडियो रिकॉर्डिस्ट - शरद मुक्न्नवार

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