इंडोनेशिया गंभीर पारिस्थितिक संकटों से जूझ रहा है. प्लास्टिक कचरे से फैलने वाला प्रदूषण, पारिस्थितिकि तंत्र को ख़तरे में डाल रहा है और जकार्ता समुद्र में डूब रहा है. शहर वास्तव में डूब रहा है. जलवायु कार्यकर्ता और अधिकारी इसे रोकने की पूरी कोशिश कर रहे हैं.
इंडोनेशिया के अपने प्लास्टिक कचरे के अलावा 2019 में लगाई गई रोक के बावजूद हर साल हज़ारों टन कचरा अवैध रूप से देश में लाया जाता है. ग़लत तरीक़े से फेंके जाने के कारण ज़्यादातर कचरा समुद्र और नदियों में जाता है. बाली द्वीप पर भाई-बहन गैरी और केली ने जलमार्गों से कचरा साफ़ करने के लिए एक संस्था बनाई है. इसके लिए उन्होंने और उनकी टीमों ने लगभग 200 फ़्लोटिंग बैरियर बनाए हैं. उनकी कोशिशों की वजह से 2020 से अब तक 1,700 टन से ज़्यादा कचरा निपटाया या रीसाइकल किया जा चुका है.
इस बीच जल्द ही पूर्व राजधानी बनने वाले जकार्ता के लोगों को एक और पर्यावरणीय समस्या से जूझना पड़ रहा है. ग्लोबल वॉर्मिंग और भूजल के अनियंत्रित इस्तेमाल के कारण देश का सबसे बड़ा शहर हर साल कई सेंटीमीटर डूब रहा है. शहरी इलाक़े का क़रीब 40 फ़ीसदी हिस्सा अब समुद्र तल से नीचे है. पर्यावरण विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि अगर यही स्थिति बनी रही, तो 2050 तक जकार्ता का एक-तिहाई हिस्सा स्थाई रूप से बाढ़ की चपेट में आ सकता है. हालांकि, पूर्व राष्ट्रपति जोको विडोडो ने अगस्त 2019 में बोर्नियो द्वीप पर नई राजधानी नुसंतरा बनाने की योजना को मंज़ूरी दे दी थी. अधिकारी और विशेषज्ञ जकार्ता को बढ़ते पानी से बचाने के लिए एक बांध बनाने में जुटे हैं.
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