पाकिस्तान के पहले तानाशाह अयूब ख़ाँ की तरह जनरल ज़िया उल हक़ के पास सत्ता पर काबिज़ होने का कोई 'ब्लू प्रिंट' नहीं था. दरअसल, ज़ुल्फ़िकार अली भुट्टो के कुछ ग़लत फ़ैसलों और पाकिस्तान नेशनल अलायंस के नेताओं के बढ़ावा देने की वजह से सत्ता उन्हें एक तरह से तश्तरी पर रख कर दे दी गई थी. लेकिन एक बार सत्ता का स्वाद चख लेने के बाद जनरल ज़िया ने अपने प्रतिद्वंदियों को मात देने की जो क्षमता दिखाई, उसके उदाहरण बहुत कम मिलते हैं.
पाकिस्तान के शासकों पर रेहान फ़ज़ल की विशेष सिरीज़ की अंतिम कड़ी. इस बार विवेचना जनरल ज़िया उल-हक़ के जीवन पर.
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