गुरुकुल , जो समय के साथ परिवर्तित हो गया जिसे आज हम पाठशाला कहते हे. आज हम पाठशाला में सिर्फ पढ़ते हे पर ज्ञान नहीं लेते. मेरे इस चैनल पर में आपको एक ऐसे गुरुकुल के बारे में बात करुँगी जहा ज्ञान मिलता हे जो हमारे पूर्वजो और ऋषिमुनिओ ने गुरुकुल की स्थापना कर के अपने हर शिष्य को सिखाया जिसे हम गुरु शिष्य परंपरा कहते हे.और आज ऐसा गुरुकुल आपको कही देखने नहीं मिलता.
कबीर जी कह गए
*यह तन विष की बेलरी, गुरु अमृत की खान* |
*शीश दियो जो गुरु मिले, तो भी सस्ता जान ||*
अर्थ-जो शरीर है वो विष से भरा हुआ है और गुरु अमृत की खान हैं। अगर अपना शीश (सर) देने के बदले में आपको कोई सच्चा गुरु मिले तो ये सौदा भी बहुत सस्ता है
गुरु की महिमा अपरंपार हे पर आज सच्चे गुरु मिलना बोहोत ही मुश्किल हे.
इस चैनल के माध्यम से में आपको गुरु का हमारे जीवन में क्या महत्व हे और गुरुकुल में हमें क्या सीखना चाहिए जो हमको हमारे जीवन में सफलता की प्राप्ति करवाता हे , मन की शांति दिलाता हे और जीवन में एक अनोखे बदलाव की और ले जाता हे उसके बारे में सविस्तार बात करेंगे.