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William Shakespeare ki kahani The Comedy of Errors | विलियम शेक्सपियर की कहानी द कॉमेडी ऑफ एरर्स

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William Shakespeare ki kahani The Comedy of Errors | विलियम शेक्सपियर की कहानी द कॉमेडी ऑफ एरर्स

साइरेकस और एफेसस—दो परस्पर पड़ोसी देश थे। लेकिन अनेक मतभेदों के कारण दोनों देशों के राजा कट्टर शत्रु थे। किसी एक देश का नागरिक दूसरे देश में प्रविष्ट न हो, इसके लिए उन्होंने बड़ा सख्त कानून लागू कर रखा था। इसके अंतर्गत यदि साइरेकस का कोई नागरिक एफेसस की सीमा में मिल जाता था तो उसे एक हजार रुपए का जुर्माना भरना पड़ता था। जुर्माना न भरने की स्थिति में उस नागरिक का सिर काट दिया जाता था। इसलिए लोग सीमा पार करते हुए डरते थे। लेकिन जो इस कानून को नहीं जानते थे, उन्हें इसका दंड भुगतना पड़ता था।

साइरेकस में एजियन नामक एक व्यापारी रहता था। एक बार वह एफेसस में घूमते हुए पकड़ा गया। एफेसस के कानून के अनुसार उसे जुर्माना भरना था; लेकिन उसके पास देने के लिए कुछ भी नहीं था। अतः अंतिम निर्णय के लिए उसे राजा के सामने पेश किया गया।

‘‘महाराज, यह व्यक्ति साइरेकस का रहनेवाला है। इसे हमने महल के पास पकड़ा है। परंतु जुर्माना भरने के लिए इसके पास कुछ नहीं है। अब आप ही बताएँ, इसे क्या दंड देना है?’’ नगर कोतवाल ने सिर झुकाकर प्रश्न किया।

राजा ने एजियन को संबोधित करते हुए पूछा, ‘‘तुम्हारा नाम क्या है?’’

‘‘एजियन।’’ उसने सपाट स्वर में कहा।

‘‘तुम पर लगाए गए आरोप सही हैं? क्या तुम नहीं जानते थे कि साइरेकस के लोगों पर एफेसस में आने की सख्त पाबंदी है?’’राजा ने पुनः प्रश्न किया।

‘‘जी हाँ। मुझे यहाँ के कानून के बारे में पता था।’’वह निडर होकर बोला।

‘‘फिर भी तुमने ऐसा अपराध किया? एजियन, कानून के अनुसार इस अपराध के लिए तुम या तो जुर्माना भरो या फिर मरने के लिए तैयार हो जाओ।’’राजा ने अपना निर्णय सुना दिया।

व्यापारी करुण स्वर में बोला, ‘‘महाराज, जितनी जल्दी हो सके, आप मुझे मृत्युंड दे दें, जिससे मैं सदा के लिए इस दुखी जीवन को त्याग सकूँ। मैं अब और जीना नहीं चाहता।’’

एजियन की बात सुनकर राजा आश्चर्य से भर उठा। आज तक उसके सामने जितने भी अपराधी आए थे, सभी ने कोई-न-कोई बहाना बनाकर दंड न देने की प्रार्थना की थी। लेकिन यह पहला व्यक्ति था, जो अपने मुँह से दंड देने की बात कर रहा था। उसकी आँखों में दूर-दूर तक भय का नामोनिशान नहीं था। राजा आश्चर्य प्रकट करते हुए बोला, ‘‘एजियन, ऐसी कौन सी बात है जिसके कारण तुम मौत को भी स्वीकार करने से पीछे नहीं हट रहे? मुझे बताओ, मैं तुम्हारे बारे में सबकुछ जानना चाहता हूँ।’’

‘‘महाराज, आप मेरे बारे में जानकर क्या करेंगे? मेरी कहानी इतनी दुख भरी है कि उसे सुनकर आपका मन भी काँप उठेगा। इसलिए बिना विलंब किए मुझे दंडित करें।’’एजियन दुखी स्वर में बोला।

अब तो राजा के मन में उसके बारे में जानने की इच्छा और भी बलवती हो उठी। उसने दरबारियों की ओर देखा। वे भी उसके बारे में जानने के लिए उत्सुक हो रहे थे। उन्होंने पहली बार ऐसा निडर व्यक्ति देखा था, जो स्वयं मृत्यु माँग रहा था। अतः राजा पुनः बोला, ‘‘एजियन, तुम निस्कोंच अपनी बात कहो। तुम्हारी कहानी सुने बिना हम तुम्हें कदापि दंडित नहीं कर सकते।’’

तब एजियन अपनी कहानी सुनाने लगा—

एजियन के पिता साइरेकस के एक धनी व्यापारी थे। उनका व्यापार कई देशों में फैला था। उनकी मृत्यु के बाद एजियन ने उनका सारा व्यापार सँभाल लिया। एक बार व्यापार के सिलसिले में उसे विदेश जाने का अवसर प्राप्त हुआ। उसने अपनी पत्नी को साथ लिया और माल से भरे जहाज के साथ अपिडैमनम नामक नगर में पहुँच गया। वह नगर उसे खूब रास आया। कुछ ही दिनों में उसका सारा माल बिक गया और उसके पास खूब धन जमा हो गया। उसने वापस लौटने का विचार त्याग दिया और पत्नी के साथ वहीं रहने लगा।

उसकी पत्नी गर्भवती थी। कुछ दिनों बाद उसने दो जुड़वाँ बेटों को जन्म दिया। दोनों बच्चे रंग-रूप और आकार में बिलकुल एक जैसे थे। उनमें अंतर करना एजियन और उसकी पत्नी के लिए भी बहुत कठिन था। उनके पड़ोस में एक गरीब स्त्री रहती थी। जिस दिन एजियन के घर पुत्रों का जन्म हुआ, उसी दिन उसने भी एक साथ दो पुत्रों को जन्म दिया। उसके पुत्र भी आकार और रंग-रूप में एक समान थे।

वह स्त्री इतनी निर्धन थी कि पुत्रों को खिलाने और पालने के लिए उसके पास कुछ नहीं था। उसका स्वयं का गुजारा बहुत मुश्किल से हो रहा था। ऐसे में उनका पालन-पोषण उसके लिए असंभव था। इसलिए उसने एजियन से प्रार्थना की कि वह उसके पुत्रों को गोद ले ले। एजियन की पत्नी का मन पिघल गया; उसके आग्रह पर उसने गरीब स्त्री के पुत्र गोद ले लिये। एजियन ने अपने दोनों बेटों का एक ही नाम रखा था—‘एंटिफोलस’। गोद लिये पुत्रों का भी उसने एक ही नाम रखा। वह उन्हें ‘ड्रोमियो’ कहकर पुकारता था। इस प्रकार उसके पास चार शिशु हो गए थे।

एक बार व्यापार के सिलसिले में एजियन को दूसरे देश जाने का अवसर मिला। वह पत्नी और चारों बच्चों से बहुत प्रेम करता था। लंबे समय उनके बिना रहना उसके लिए असंभव था, इसलिए उसने उन्हें भी साथ ले लिया और जहाज पर सवार होकर दूसरे देश को चल पड़ा। कुछ महीनों की यात्रा के बाद उसे किनारा दिखाई देने लगा। ‘एक-दो दिन के बाद हम किनारे पर होंगे। उसके बाद जहाज का सारा माल बेचकर हम घर लौट जाएँगे।’यह सोचकर एजियन मन-ही-मन प्रसन्न हो रहा था।

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