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जय गंगा मैया कथा | हर हर गंगे अंधकासुर उद्धार (भाग - 2)

Tilak 2,192,268 lượt xem 2 years ago
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भक्त को भगवान से और जिज्ञासु को ज्ञान से जोड़ने वाला एक अनोखा अनुभव। तिलक प्रस्तुत करते हैं दिव्य भूमि भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थानों के अलौकिक दर्शन। दिव्य स्थलों की तीर्थ यात्रा और संपूर्ण भागवत दर्शन का आनंद। दर्शन दो भगवान!

Watch the video song of ''Darshan Do Bhagwaan'' here - https://youtu.be/j7EQePGkak0

Watch the Short story ''har har gange andhakaasur uddhaar (bhaag - 2)'' now!

Watch all the Ramanand Sagar's Jai Ganga Maiya full episodes here - http://bit.ly/JaiGangaMaiya

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नारद मुनि जी इंद्र को अंधकासुर की तपस्या के बारे में बताते हैं तो इंद्र देव अंधकासुर की तपस्या को भंग करने के लिए स्वर्ग से रम्भा को भेजता है। रम्भा को अंधकासुर की तपस्या भंग करने के लिए जाता देख शुक्राचार्य उसे अपनी शक्तियों में असफल कर देते हैं। रम्भा के असफल होने के बाद अग्नि देव और वायु देव को इंद्र देव भेजते हैं लेकिन शुक्राचार्य अपनी शक्तियों से उन्हें भी अंधकासुर की तपस्या भंग नहीं करने देते। इंद्र देव जब अंधकासुर की तपस्या को भंग नहीं कर पता तो वह गंगा मैया के पास जाता है और उन्हें बताता है की मैंने उसकी तपस्या को भंग करने की कोशिश की थी लेकिन ऐसा कर नहीं पाया। गंगा मैया की रक्षा करने के लिए माता उमा उनके पास आती है और दानवों को देख क्रोधित हो जाती हैं। अंधकासुर के स्वर्ग पर आक्रमण करने की बात सुन देवता असुरों से युद्ध करने के लिए निकल पड़ते हैं। देवता और असुर आमने-सामने आ जाते हैं और युद्ध शुरू हो जाता है। इंद्र देव असुरों पर हमला करता है तो उस जवाब देने के लिए अंधकासुर विशाल रूप ले लेता है। उसे रोकने के लिए इंद्र देव अपना वज्र इस्तेमाल करता है लेकिन अंधकासुर का वज्र कुछ भी नहीं बिगाड़ पाया तो देवता वहाँ से भाग जाते हैं। अंधकासुर देवताओं को परास्त कर देता है।अंधकासुर अपनी विजय का समाचार अपने गुरु शुक्राचार्य को बताता है। अंधकासुर अपने साथ गंगा मैया को पाताल लोक में ले जाने की बात कहता है। अंधकासुर से हारने के बाद सभी देवता जब भाग रहे थे तो उन्हें नारद मुनि जी मिलते हैं और नारद मुनि जी उन्हें बताते हैं की आपको गंगा मैया की शरण में जाना चाहिए। सभी देवता गंगा मैया के पास जाते हैं और उनसे अपनी रक्षा करने को कहते हैं तो गंगा मैया और माता उमा उनकी रक्षा करने की प्रार्थना को स्वीकार कर लेती हैं। गंगा मैया को अपने पास लाने के लिए अंधकासुर अपने मिशासुर असुर को भेजता है वह वहाँ आकर माता उमा और गंगा मैया को देख कर उन्हें अपने साथ चलने के लिए कहता हैं जैसे ही वह गंगा को पकड़ने के लिए जल में उतरता है तो माता उमा उसे अपनी शक्ति से घायल कर अंधकासुर के पास फेंक देती हैं। अंधकासुर के गिरने से स्वर्ग हिल जाता है अंधकासुर उस भूचाल को महसूस कर बाहर देखने आता है तो अपने मिशासुर को घायल पड़ा देख हैरान हो जाता है। अंधकासुर उससे पूछता है की यह सब किसने किया तो वह मार जाता है। मिशासुर की मृत्यु के बाद देव गुरु बृहस्पति शुक्राचार्य को फिर से समझाने आते हैं की अंधकासुर को स्वर्ग को छोड़कर पाताल लोक आने के लिए कह दे। गंगा मैया को बंदी बनाने के लिए अपने राक्षस भेजता है लेकिन देवी उमा उन सबको मार देती हैं।
अंधकासुर के सभी असुरों को मारने के बाद माता उमा की भेजी मायावी देवियाँ अंधकासुर से युद्ध करती हैं। अंधकासुर जैसे ही अमोघ शक्ति को देवियों के सामने लता है तो मायावी देवियाँ वहाँ से चली जाती है। अंधकासुर माता उमा और गंगा मैया के सामने जाता है। गंगा मैया माता उमा से कहती हैं की मुझे अंधकासुर को समझाने के लिए एक मौक़ा माँगती है यदि वो नहीं समझा पाती हैं तो देवी उमा उस से युद्ध कर सकती है। गंगा मैया उसे समझाती हैं की वो अपनी इस सोच को त्याग दे और अपनी शक्तियों का प्रयोग भलाई के कार्यों में करे। लेकिन जब अंधकासुर गंगा मैया के समझने से भी नहीं मानता तो गंगा मैया उसे अपनी शक्ति का प्रदर्शन करने को कहती है। अंधकासुर की शक्तियों को गंगा मैया एक एक करके क्षीण कर देती हैं। गंगा मैया अंधकासुर को फिर से समझाती हैं की मैं तुम्हारी हर शक्ति को क्षीण कर सकती हूँ लेकिन वो तब भी नहीं मानता और उन्हें अपनी शक्तियों का प्रदर्शन करता है। गंगा मैया अंधकासुर की माया को फिर से क्षीण कर देती हैं और उसे कहती हैं की तुम्हें मैं अपनी शक्तियों और असली रूप को देखने के लिए दिव्य दृष्टि प्रदान करती हूँ। अंधकासुर पर गंगा मैया की किसी भी बात का असर नहीं होता और वह अपनी ताक़त के अहंकार में गंगा मैया को दिव्य दृष्टि को उनका माया जल बताता है और उसे हटने के लिए कहता है। गंगा मैया के समझने के बाद भी अंधकासुर नहीं मानता और गंगा मैया को अपने साथ पाताल लोक ले जाने की बात पर अड़ जाता है और गंगा मैया पर अमोघ शक्ति का प्रयोग करता है गंगा मैया उसे रोकती हैं लेकिन वह फिर भी उन पर अमोघ शक्ति का प्रयोग करता है। अमोघ शक्ति गंगा मैया के पास जाकर क्षीण होकर महादेव के पास वापस चली जाती है। अंधकासुर इसे अपने साथ छल समझता है। गंगा मैया उसे याद दिलाती है की महादेव की अमोघ शक्ति तुम्हें महादेव ने देते हुए कहा था कि यदि तुम इसका प्रयोग तुम निरस्त्र प्राणी पर करोगे तो यह वापस मेरे पास आ जाएगी। गंगा मैया उसे अपनी शरण में एक बालक की तरह आने के लिए कहती हैं। अंधकासुर गंगा मैया की बाटे सुन द्रवित हो जाता है और व्याकुल हो जाता है। गंगा मैया उसे कहती हैं की मेरे जल को स्पर्श करो ताकि तुम्हारे सारे पाप धूल जाए। अंधकासुर गंगा का जल स्पर्श करते ही पाप मुक्त हो कर दिव्य रूप में बदल जाता है। गंगा मैया अंधकासुर से प्रसन्न हो कर उसे अपने विराट स्वरूप के दर्शन देती हैं।


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