सरना झंडा परिक्रमा के बाद सरना भजन गायकसरना धर्म आदिवासी समुदायों द्वारा मान्य धार्मिक विश्वासों और प्रथाओं का एक समूह है, विशेषकर भारत के झारखंड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, बिहार और छत्तीसगढ़ राज्यों में। "सरना" शब्द का अर्थ है "पवित्र ग्रोव" या "पवित्र वन" और इसे आदिवासी समुदाय अपने धार्मिक स्थलों के रूप में पूजते हैं।
**सरना धर्म के मुख्य तत्व:**
1. **प्रकृति पूजा:** सरना धर्म प्रकृति पूजा पर आधारित है, जिसमें पेड़, पौधे, नदियाँ, पहाड़ और अन्य प्राकृतिक तत्वों की पूजा की जाती है।
2. **पवित्र वन:** सरना धर्म के अनुयायी अपने धार्मिक अनुष्ठान पवित्र वनों में करते हैं, जिन्हें सरना स्थल कहा जाता है।
3. **धार्मिक अनुष्ठान:** सरना धर्म में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान और त्यौहार मनाए जाते हैं, जैसे सरहुल, करम, और सोहराई।
4. **आध्यात्मिक विश्वास:** सरना धर्म के अनुयायी मानते हैं कि प्राकृतिक तत्वों में आत्माएँ निवास करती हैं, और वे इन आत्माओं से अपने जीवन और समाज के लिए आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पूजा करते हैं।
**सरना भजन:** सरना भजन वे भक्ति गीत होते हैं जो सरना धर्म के अनुष्ठानों और पूजा के दौरान गाए जाते हैं। ये गीत प्रकृति, देवी-देवताओं, और आदिवासी संस्कृति के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करते हैं।
**सरना आदिवासी:** सरना आदिवासी वे लोग हैं जो सरना धर्म को मानते हैं और जो आदिवासी समुदायों से संबंधित हैं। ये लोग अपनी सांस्कृतिक धरोहर और धार्मिक मान्यताओं को संजोए रखते हैं।
सरना धर्म का आदिवासी समाज की सांस्कृतिक पहचान और धार्मिक विश्वासों में महत्वपूर्ण स्थान है। यह धर्म और उसकी प्रथाएँ आदिवासी समाज की सामाजिक संरचना और पारंपरिक ज्ञान को संरक्षित करने में सहायक हैं।