नमक का दरोगा मुंशी प्रेमचंद की एक प्रसिद्ध कहानी है, जो ईमानदारी और नैतिकता पर आधारित है। कहानी के मुख्य पात्र, मुंशी वंशीधर, एक साधारण परिवार के शिक्षित युवक हैं। वे नमक विभाग में दरोगा के पद पर नियुक्त होते हैं। नौकरी के दौरान उन्हें रिश्वत लेने के अनेक मौके मिलते हैं, लेकिन वे अपने कर्तव्य और ईमानदारी के प्रति समर्पित रहते हैं।
एक दिन वे एक धनी व्यापारी, अलोपीदीन, को नमक की तस्करी करते हुए पकड़ते हैं। अलोपीदीन वंशीधर को रिश्वत देने का प्रयास करता है, लेकिन वंशीधर सत्य के मार्ग पर अडिग रहते हैं। हालांकि, इस ईमानदारी के कारण उन्हें नौकरी से निकाल दिया जाता है। बाद में, अलोपीदीन उनकी ईमानदारी से प्रभावित होकर उन्हें अपने व्यापार का मैनेजर बना देता है।
यह कहानी दिखाती है कि नैतिकता और ईमानदारी हमेशा अंततः सम्मान दिलाते हैं। प्रेमचंद ने समाज की बुराइयों और मानवीय गुणों का गहरा चित्रण किया है।
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