ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू का कहना है कि चीन, ताइवान के खिलाफ युद्ध की तैयारी कर रहा है. यह बात अमेरिका और चीन के बीच युद्ध जैसे टकराव की स्थिति पैदा कर रही है और इस नाटकीय प्रकरण में दुनिया का बहुत कुछ दाँव पर लगा हुआ है.
चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कसम खाई है कि बीजिंग ताइवान को चीन में मिलाकर रहेगा, अगर जरूरत हुई तो बल प्रयोग भी करेगा. ताइवान में बड़ी संख्या में लोगों का कहना है कि वे दोबारा एक नहीं होना चाहते. अमेरिका धीरे-धीरे इस बात को स्पष्ट कर रहा है कि वह ताइवान को किसी भी हमले से बचाने के लिए हस्तक्षेप करेगा.
यह सब कैसे हुआ और आगे क्या होगा?
इस खास विश्लेषण में, डीडब्ल्यू के रिचर्ड वॉकर ने भाग 1 में ताइवान पर विवाद की जड़ों को उजागर किया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे अमेरिका और चीन के बीच 1970 के दशक की कूटनीतिक सफलताओं ने कुछ काम अधूरा छोड़ दिया था जो तब से चला आ रहा है.
भाग 2, इस बात की पड़ताल करता है कि हर तरफ से विश्वासघात के आरोपों के साथ, ये तनाव अब खुलकर क्यों सामने आ गए हैं. और भाग 3, भविष्य में चीन, अमेरिका और ताइवान के समीकरणों का आकलन करता है कि विवाद कहां बढ़ रहा है और क्या युद्ध से बचने का कोई तरीका है.
ताइवान पर अच्छी पकड़ रखने वाली अमेरिकी अधिकारी, शैली रिगर ने चेतावनी दी है, "मुझे लगता है कि आज खतरा पहले से कहीं अधिक है. अमेरिका और चीन खतरे और जवाबी खतरे में उलझे हुए हैं, और ताइवान बीच में फंस गया है." पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ कर्नल झो बो उन परिदृश्यों के बारे में बताते हैं जिनके तहत चीन बल प्रयोग कर सकता है. ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री केविन रड ने एक राजनयिक समाधान का विचार दिया है जिसके बारे में वे मानते हैं कि उसे चीन और ताइवान दोनों नापसंद करेंगे। सीएनएएस थिंक टैंक की अध्यक्ष मिशेल फ्लोरनॉय की राय है, "बीजिंग के लिए महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आप ताइवान पर कब्जा करने के लिए जंग छेड़ेंगे, तो आपकी हार तय है."
फिल्म में ताइवान के विदेश मंत्री जोसेफ वू, चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी के सेवानिवृत्त वरिष्ठ कर्नल झो बो, पूर्व ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री केविन रड, सेंटर फॉर ए न्यू अमेरिकन सिक्योरिटी की अध्यक्ष मिशेल फ्लोरनॉय, फॉरवर्ड एलायंस एनजीओ के इनोक वू, अंतरराष्ट्रीय सामरिक अध्ययन संस्थान की माया नूवेन्स, जर्मन विदेश मंत्री अनालेना बेयरबॉक, जर्मन वाइस चांसलर रॉबर्ट हाबेक और बर्लिन-ताइपे संसदीय मैत्री समूह के टिल श्टेफेन के साथ साक्षात्कार किया गया है.
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