21.01.2021 - आखिर टमाटरों का, बड़ी संख्या में हो रहे पलायन से क्या संबंध है? टमाटर वैश्विक व्यापार नीति में सौदेबाज़ी की एक वस्तु हैं. यूरोपीय संघ, चीन और अन्य देशों से आने वाले सब्सिडी वाले उत्पाद बेहद कम दामों में बेचे जाते हैं, और इस सब से अफ्रीका के बाज़ार और लोगों की आजीविका बर्बाद हो रही है.
एडवर्ड अभी भी टमाटर उगाते हैं. लेकिन वो ये काम घाना में स्थित अपने खेतों में नहीं करते। वो अब दक्षिण इटली के खेतों में दयनीय परिस्थिति में काम कर रहे हैं. वो जो टमाटर उगाते हैं, वो प्रोसेस्ड होकर, डिब्बे में बंद होकर, दूसरे देशों में भेजा जाता है, जिसमें घाना भी शामिल है. वो वहां के घरेलू उत्पादन को टक्कर देता है. चीन, अमेरिका, यूरोपीय संघ, जैसी जगहों से धड़ल्ले से आने वाले सस्ते सामानों ने घाना के टमाटर उद्योग को तहस नहस कर दिया है. इस सबसे परेशान किसानों ने दूसरी जगहों पर जाकर काम खोजना शुरू किया, जिसमें यूरोप भी शामिल है.
इनमें से कई लोगों के लिए वहां जाने का एकमात्र रास्ता है रेगिस्तान और भू-मध्य सागर से होकर गुजरने वाला बेहद खतरनाक रास्ता। घाना एक शांत देश है, एक ऐसा लोकतंत्र जहां स्वतंत्र चुनाव होते हैं और अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है. लेकिन फिर भी, बेनेडिक्टा जैसी टमाटर उगाने वाली किसान बड़ी मुश्किल से अपने परिवार की ज़रूरतें पूरी कर पाती हैं. उनके पति इटली से अपनी कमाई का कुछ हिस्सा उन्हें परिवार चलाने के लिए भेजते हैं.
घाना के पोलुगू में टमाटर प्रसंस्करण का एक खस्ताहाल कारखाना अपनी दुर्दशा बयां कर रहा है. एक समय पर इस फैक्ट्री से आसपास के टमाटर किसानों का घर चलता था. आज ये सुनसान पड़ी है, जिसकी रखवाली विंसेंट करते हैं, जो पहले यहां काम किया करते थे. उन्हें उम्मीद है कि यह फैक्ट्री अभी भी जीवित रह सकती है. आसपास के इलाकों में टमाटर का बाज़ार खत्म हो चुका है और ज़्यादातर किसान उस चीज को नहीं उगाना चाहते, जो शायद घाना के लिए 'लाल सोना' हो सकती थी। यहां एक कृषि सलाहकार इन किसानों की टमाटर खेती में मदद कर रहे हैं, लेकिन उनके पास भी उम्मीद की गुंजाइश कम है. ऐसे हालात के चलते ही यहां के घरेलू किसान घाटा झेलते हैं और फिर यूरोप जाने का मन बना लेते हैं.
एक बार इटली में आ जाने के बाद, घाना और दूसरे अफ्रीकी देशों से आने वाले इन प्रवासियों को खेतों के आसपास मुश्किल परिस्थितियों में जीना पड़ता है. वो बेहद कम वेतन में मजदूरी करते हैं, और उन टमाटरों की पैदावार करने में योगदान देते हैं, जिनकी वजह से उनके परिवार अपना काम और आजीविका खो रहे हैं। आजकल, अकरा के बाज़ारों में चीन, इटली, स्पेन से आने वाले डिब्बा बंद टमाटर खरीदने के लिए उपलब्ध हैं. कई लोग इसे स्वतंत्र व्यापार का नाम देते हैं. लेकिन अर्थशास्त्री कोबेना ओटू का कहना है कि स्वतंत्र व्यापार वो है जो रास्ते खोले, ना कि लोगों का जीवन बर्बाद कर दे.
DW की ये डॉक्यूमेंट्री सीरीज 'डिस्प्लेस्ड', इस संकट पर रोशनी डालती है और ये पता करने की कोशिश करती है कि कैसे दुनिया के समृद्ध औद्योगिक देश ही दक्षिणी हिस्से के देशों में होने वाले विस्थापन के लिए जिम्मेदार हैं.
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