नशा मुंशी प्रेमचंद की एक उत्कृष्ट कहानी है जो समाज में वर्ग भेद, नैतिकता और प्रेम के जटिल पहलुओं को उजागर करती है। यह कहानी दो प्रमुख पात्रों, रामेश्वरी और रुद्रप्रताप के इर्द-गिर्द घूमती है।
रुद्रप्रताप एक अमीर जमींदार है जो अपनी शक्ति और धन के नशे में चूर है। वह अपनी इच्छा को सर्वोपरि मानता है और दूसरों की भावनाओं की परवाह नहीं करता। दूसरी ओर, रामेश्वरी एक गरीब किसान की बेटी है, जो अपनी स्वाभिमानी और दृढ़ व्यक्तित्व के लिए जानी जाती है। कहानी में दिखाया गया है कि कैसे धन और शक्ति का नशा एक व्यक्ति को अन्यायपूर्ण बना सकता है।
रुद्रप्रताप रामेश्वरी से आकर्षित होता है और उसे अपने नियंत्रण में लाने की कोशिश करता है। लेकिन रामेश्वरी अपने आत्मसम्मान के साथ समझौता नहीं करती। उसकी दृढ़ता और नैतिकता रुद्रप्रताप के अंदर छुपी हुई इंसानियत को जाग्रत करती है। अंततः, वह अपने अहंकार और धन के नशे को छोड़कर सही राह पर लौटता है।
यह कहानी केवल एक साधारण प्रेम कथा नहीं है, बल्कि इसमें सामाजिक व्यवस्था और शक्ति संतुलन पर गहरी टिप्पणी की गई है। प्रेमचंद ने अपने पात्रों के माध्यम से यह दर्शाया है कि सच्चा प्रेम स्वाभिमान और नैतिकता की नींव पर खड़ा होता है।
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