सफलता के मार्ग में आने वाली रुकावटें गौतम बुद्ध की शिक्षाप्रद कहानी Gautam Budh ki shikshaprd kahani #budhstory #motivation #motivational #goutambudhastory #gautambudhastory #budhhiststory #gautambudh
लक्ष्य प्राप्ति में आने वाली बाधाएं
बहुत समय पहले की बात है, महात्मा गौतम बुद्ध एक गांव से होकर गुजर रहे थे, उस गांव में एक तालाब था। महात्मा गौतम बुद्ध और उनके सभी शिष्य तालाब के पास आ कर रुक गए, तभी वहां एक लड़का अपनी मां के साथ पानी भरने आया।
उस लड़के की नजर महात्मा गौतम बुद्ध पर पड़ी, वह महात्मा गौतम बुद्ध को पहले से ही जानता था। वह जानता था कि महात्मा गौतम बुद्ध बहुत ज्ञानी हैं और वे सभी के प्रश्नों का उत्तर देते हैं, सभी के समस्याओं का समाधान भी बताते हैं।
वह लड़का महात्मा गौतम बुद्ध के पास गया और बोला," हे महात्मा मैं बहुत बड़ा कुछ करना चाहता हूँ, लेकिन जब भी मैं कुछ करने का प्रयास करता हूँ, तो मैं उस कार्य को पूरा नहीं कर पाता हूँ मुझे समझ नहीं आता है कि मैं कहाँ गलती कर रहा हूँ। इसलिए मैं आपसे यह प्रश्न पूछना चाहता हूँ कि लक्ष्य को प्राप्त करते समय ऐसी कौन सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं? जिसको पार करने के बाद ही कोई व्यक्ति सफलता को प्राप्त कर सकता हैं?
महात्मा गौतम बुद्ध उस लड़के की ओर मुस्कुराते हुए देख कर बोले, पुत्र “जब तक तुम अपने लक्ष्य की ओर कदम नही बढ़ाते हो, तब तक सफलता से जुड़ा हर प्रश्न, हर उत्तर अधूरा है।” महात्मा गौतम बुद्ध ने इस उपदेश को समाप्त कर अपने सभी शिष्यों के साथ आगे की यात्रा जारी रखी। उस लड़के ने भी अपनी मां के साथ घर लौटने का निर्णय लिया और घर वापस आ गया।
अगले दिन जब वह लड़का अपनी मां के साथ वापस तालाब पर पानी भरने आया, तो उसने देखा कि कल तालाब में जो कमल की केवल कलियां थीं, वे आज पूरी तरह से खिल चुकी थीं। उसकी मां को इस पर यकीन नहीं हो रहा था। उसने अपनी मां से कहा, “बे-मौसम, इतने सारे फूल का एक साथ खिलना, ऐसी घटना तो मैंने आज तक नहीं देखी। यह सब महात्मा गौतम बुद्ध के यहां आने के कारण हुआ है, अर्थात यह उनका ही प्रभाव है।”उस समय वह लड़का सोचने में खो गया।
उसने तुरंत ही तालाब से एक कमल का फूल तोड़ा और मन में यह सोचना शुरू किया कि यदि तालाब की यह खूबसूरती महात्मा गौतम बुद्ध के प्रभाव के कारण है, तो मुझे महात्मा गौतम बुद्ध से जरूर मिलना चाहिए। शायद वह मुझे कुछ सीखने के लिए संकेत देना चाह रहें हैं। सोचते-सोचते, उसने तय कर लिया कि वह महात्मा गौतम बुद्ध से जरूर मिलेगा, और उस लड़के के मन में महात्मा गौतम बुद्ध की वो आवाज गूंज रही थी: “तुम लक्ष्य की ओर कदम नहीं बढ़ाओगे तब तक सफलता से जुड़ा हर प्रश्न, हर उत्तर, अधूरा है।”
तब उस लड़के ने कमल का फूल तोड़ कर एक मटके में रख लिया और उसने यह निश्चय किया कि वह महात्मा गौतम बुद्ध से मिलकर ही रहेगा। उसके मन में जो भी प्रश्न थे, उनके उत्तर जानने का उसने निश्चय किया।
उस लड़के ने तुरंत ही अपनी मां से कहा, “मैं महात्मा गौतम बुद्ध से मिलने जा रहा हूं। वे बहुत आगे तक नहीं गए होंगे। अगर मैं जल्दी-जल्दी चलूं, तो एक दिन में ही मैं उन तक पहुंच जाऊंगा और एक-दो दिन में मिलकर घर वापस आ जाऊंगा।”
उसकी मां ने उसे बहुत समझाने की कोशिश की, लेकिन वह लड़का नहीं माना और तुरंत ही सफर की तरफ निकल पड़ा।
वह मार्ग पर बहुत ही तेजी से चल रहा था। बहुत कम समय में ही उसने अपने गांव को पार कर लिया। चलते-चलते उसकी थकान बढ़ रही थी, जिससे उसकी रफ्तार कम होने लगी थी। लेकिन उसने हार नहीं मानी, धीरे-धीरे चलता रहा और चलते-चलते जंगल में पहुंच गया।
जंगल को देखकर उसके मन में डर उत्पन्न हुआ। उसने सोचा कि मैंने आज तक जंगल पार नहीं किया है और इस जंगल में कई जंगली जानवर भी रहते हैं। यदि मैं रास्ता भटक गया तो मैं महात्मा गौतम बुद्ध तक कभी नहीं पहुंच पाऊंगा। और यदि मैं किसी गलत रास्ते पर चला गया तो मुझे कम से कम दो दिन और लगेंगे। महात्मा गौतम बुद्ध तक पहुंचने के लिए, और यदि वह मुझसे बहुत आगे निकल जाते हैं तो मुझे बाकी रास्ते भी पता नहीं चल पायेंगे, और फिर मैं उनसे कभी नहीं मिल पाऊंगा। वह लड़का इसी सोच-विचार में डूबा हुआ था, तभी उसने देखा कि उसी रास्ते से एक घोड़े की सवारी आ रही थी।