1945 में जब जापान अमेरिका के क़ब्ज़े में था, तब जापान का संविधान बनाया गया था. तोशिको तनाका उस वक़्त छह साल की थीं. वह हिरोशिमा पर परमाणु बमबारी में ज़िंदा बची थीं. उन्हें उम्मीद थी कि जापान का ‘शांति संविधान’ भविष्य में युद्ध रोकेगा, लेकिन अब जापान फिर से ख़ुद को हथियारबंद कर रहा है.
1945 के बाद जापान दुनिया का इकलौता देश था, जिसने अपने संविधान में युद्ध को त्यागा था. लेकिन बढ़ते ख़तरों के चलते जापान ने अब फिर से सैन्यीकरण नीति की घोषणा की है. इस दशक के अंत तक जापान दुनिया की तीसरी सबसे मज़बूत सैन्य शक्ति बन सकता है. हिरोशिमा और नागासाकी के क़हर के बाद उपजा जापान का शांतिवाद अब चीन, रूस और उत्तर कोरिया जैसे आक्रामक पड़ोसियों के डर से ख़त्म हो रहा है.
रूढ़िवादी सरकारों के कार्यकाल और एक समय पर सुरक्षा दे रहे अमेरिका के पीछे हटने की वजह से जापानी सशस्त्र बलों ने हथियार प्रणालियां हासिल कर ली हैं. इनमें ज़मीन और पानी के मुनासिब हथियार, यूएस F-35 लड़ाकू जेट और दो एयरक्राफ़्ट कैरियर शामिल हैं. वहीं देश में सिविल इस्तेमाल से इतना प्लूटोनियम निकला है कि हज़ार परमाणु हथियार बनाए जा सकते हैं. मिसाइल सिस्टम भी मौजूद हैं.
भविष्य के निर्माण में एशिया की अहम भूमिका है. यह डॉक्यूमेंट्री जापान का एक नया पहलू दिखाती है और वहां हो रहे सैन्य बदलावों की गहराई में जाती है, जो यूक्रेन में चल रहे युद्ध से कहीं दूर है. जापान में 1945 में हुई परमाणु बमबारी में बचे लोगों हिबाकुशा कहा जाता है. तोशिको तनाका उन्हीं लोगों में से एक हैं और उन्हें एक बार फिर युद्ध का ख़तरा सता रहा है.
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