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इन 3 देशों पर मंडरा रहा पुतिन का साया [The Baltic States in Putin’s Shadow] | DW Documentary हिन्दी

DW Documentary हिन्दी 142,010 lượt xem 5 months ago
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बाल्टिक देशों- एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया को आज़ाद हुए तीन दशक से ज़्यादा वक़्त बीत चुका है. अब रूस फिर से इन देशों पर नज़र गड़ा रहा है. यूक्रेन पर रूस के हमले ने बहुत सारे लोगों को ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या रूस फिर से बाल्टिक देशों पर अपनी सत्ता क़ायम करने की कोशिश करेगा.

एस्टोनिया के ऑइन तहीस्ते कहते हैं कि "बस एक ही दुश्मन है और वो रूस है". वो एक ही वाक्य में अपनी पूरी बात रखते हुए कहते हैं, “लातविया, फ़िनलैंड, स्वीडन और बाल्टिक सागर पर पोलैंड, जर्मनी और डेनमार्क… ये सभी दोस्त हैं, लेकिन पड़ोसी रूस नहीं.” वो आगे कहते हैं, “ये सोचना बेवक़ूफ़ी होगी कि रूस बहुत दूर है”.

ऑइन तहीस्ते हमारी टीम को हियुमा के सैन्य संग्रहालय ले जाते हैं. सोवियत काल में एस्टोनिया के पश्चिम में स्थित इस द्वीप पर पर्यटकों पर प्रतिबंध था, क्योंकि बाल्टिक सागर में स्थित होने के कारण ये मॉस्को के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण जगह थी. रूस के यूक्रेन पर धावा बोलने के बाद से एस्टोनिया ने पुराने सोवियत स्मारकों को सार्वजनिक स्थानों से हटा दिया है और उनमें से कुछ को संग्रहालयों में भेज दिया है. ऑइन बताते हैं, “सोवियत संघ ने 1940 में एस्टोनिया पर कब्ज़ा कर लिया था. क्या हमसे अब भी उन सैनिकों के प्रति सम्मान व्यक्त करने की उम्मीद की जाती है, जिन्होंने हम पर कब्ज़ा किया था? नहीं. वो विपरीत समय था.”

22 साल के माथियस मेरेलीन तालिन से हैं और उन्हें सोवियत काल का कोई सीधा अनुभव नहीं है. फिर भी वो इस सवाल से चिंतित हैं कि क्या रूस बाल्टिक में लौटने की कोशिश करेगा. वो कहते हैं, "हम हथियार उठाकर मोर्चे पर जाने के लिए और दुश्मन से लड़कर और मातृभूमि की रक्षा करने के लिए तैयार हैं".

लिथुआनिया समेत बाल्टिक देशों में सेना में भर्ती होने वालों की तादाद बढ़ रही है. कुलइपेदा के एक मछुआरे के बेटे पाउलुस यूरकुस कहते हैं कि अगर उन पर हमला हुआ, तो वो भागेंगे नहीं. लिथुआनिया के इकलौते बंदरगाह वाला शहर, उनका घर कैलिनियनग्राद के रूसी एन्क्लेव की सीमा से बहुत दूर नहीं है.

रूसियों के प्रति ये नया विरोध लातविया में भी हर जगह देखने को मिलता है. लॉरिस अलेकसेव्स लातविया के यूरमला में समुद्र तट के किनारे बने पारंपरिक रिसॉर्ट शेफ़ हैं. रूसी लोग लॉरिस के रेस्तरां में आकर ख़ूब खाते-पीते थे. जब से लातविया ने रूसियों के लिए अपनी सीमाएं बंद की हैं, तब से उनकी आय में भारी गिरावट आई है. लेकिन वो दुश्मन के साथ व्यापार करने से इनकार करते हैं.

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