नाटो ख़ुद को दुनिया का सबसे मज़बूत और सबसे सफल रक्षा गठबंधन कहता है. लेकिन हर कोई इसे इसी निगाह से नहीं देखता. अफ़्रीका और एशिया के देश इस संगठन को संदेह और अविश्वास की नज़र से देखते हैं और इस पर दोहरे मानकों और पाखंड का आरोप लगाते हैं.
यूक्रेन पर रूस के हमले ने दुनिया को और भी बांट दिया है. इसने नाटो देशों और ग्लोबल साउथ के बीच बड़ी खाई को उघाड़ दिया है. पश्चिमी देश रूस की आक्रामकता को अंतरराष्ट्रीय क़ानून का सीधा उल्लंघन मानते हैं. लेकिन, भारत और दक्षिण अफ़्रीका जैसे उभरती हुई शक्तियां रूस के साथ संबंध तोड़ने से इनकार कर रही हैं.
ये डॉक्यूमेंट्री विश्लेषण करती है कि ये असमानता कैसे आई? अफ़्रीका और एशिया में लोग इस बारे में क्या सोचते हैं? क्या पश्चिमी देशों ने इनकी चिंताओं को बस रूसी दुष्प्रचार मान लिया है? या फिर 75 साल पहले रक्षा संगठन के रूप में बने नाटो के प्रति अविश्वास उसके अपने अतीत और कामों की वजह से है? हम दक्षिण अफ़्रीका और भारत के साथ अमेरिका और यूरोप में भी नीति-निर्माताओं और सलाहकारों से बात करते हैं, ताकि रूस के यूक्रेन में युद्ध और यूक्रेन के लिए नाटो के समर्थन पर अलग-अलग राय समझी जा सके.
फ़िल्म ये जानने की कोशिश करती है कि क्या नाटो और ग्लोबल साउथ के नाटो पर शक करने वाले देशों के बीच समझौते की कोई राह बन सकती है. और नई उभर रही बहुध्रुवीय दुनिया में नाटो गठबंधन की क्या भूमिका हो सकती है, अगर कोई हो तो.
#dwdocumentaryहिन्दी #dwहिन्दी #nato #brics #globalsouth
----------------------------------------------------------------------------------------
अगर आपको वीडियो पसंद आया और आगे भी ऐसी दिलचस्प वीडियो देखना चाहते हैं तो हमें सब्सक्राइब करना मत भूलिए.
विज्ञान, तकनीक, सेहत और पर्यावरण से जुड़े वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल DW हिन्दी को फॉलो करे:@dwhindi
और डॉयचे वेले की सोशल मीडिया नेटिकेट नीतियों को यहां पढ़ें: https://p.dw.com/p/MF1G