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ब्रह्मविद्योपनिषद् || bramhavidya upnishad |bramh vidhya upnishad || ब्रह्मविद्या उपनिषद

तत्त्व Gyan 75,791 lượt xem 1 year ago
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यह उपनिषद् कृष्ण यजुर्वेद से सम्बद्ध है। इसमें ब्रह्म की प्राप्ति के उपाय और उसके स्वरूप का
विशद विवेचन किया गया है। सर्वप्रथम ब्रह्मविद्या के रहस्यभूत प्रणव व्रह्म का उलेख करते हुए प्रणव की
चार मात्राओं की विवेचना है। जीव का स्वरूप, बन्ध-मोक्ष का कारण, हंस विद्या द्वारा परमेश्वर की प्राप्ति,
सकल और निष्कल ब्रह्म का स्वरूप, केवल शास्त्रीय ज्ञान एवं आचरण से पाप-पुण्य की प्राप्त, प्रणव- हंस
का अनुसन्धान ही प्रत्यक्ष यजन, हंस-मंत्र के अभ्यास से समाधि की प्राप्ति, हंस योग का अभ्यास क्रम तथा
हंस योगी द्वारा आत्मा के स्वरूप का चिन्तन इत्यादि विषयों का क्रमश: विवेचन किया गया है । ये सभी विषय
'ब्रह्म के तात्विक स्वरूप को स्पष्ट करते हैं, इसलिए इस उपनिषद् की 'ब्रह्मविद्या' यह संज्ञा सार्थक ही है।
।।ॐ शांति विश्वम।।

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