हिमालय का आकर्षण अनादि काल से मनुष्यों को अपनी ओर खींचता रहा है. इस आकर्षण ने एक तरफ कई भाषाओं के साहित्य में विशेष जगह बनाई तो दूसरी तरफ हिमालय में देवताओं के निवास स्थान भी खोजे गए, और तब शुरुआत हुई कई तीर्थों और तीर्थ यात्राओं की. यात्रा, जिनके क्रम में देवताओं के निवास स्थानों के साथ ही मानव बस्तियाँ भी खोजी जाने लगी. स्थानीय धार्मिक मान्यताओं के बाद हिमालय में धर्म के संगठित स्वरूप को अपनाने वालों की भी यात्राएं शुरू हुई. इनमें बोनपा, हिंदू, बौद्ध, सिख और जैन धर्मों को मानने वाले शामिल रहे. इन तीर्थ यात्राओं को ही हिमालय की सबसे पहली अन्वेषण यात्रा भी माना जा सकता है. धीरे-धीरे इन्हीं यात्राओं के साथ व्यापार का क्रम भी बढ़ता गया. परिणाम स्वरूप हिमालय में इस पार से लेकर मध्य एशिया, तिब्बत और सिन्धु-गंगा ब्रह्मपुत्र के मैदानी रहवासियों के बीच आर्थिक-सांस्कृतिक मेल-जोल बढ़ने लगा. सदियों से होती आ रही इन यात्राओं के क्रम में 17वीं सदी के बाद बड़ा बदलाव आया. अब हिमालय को अलग नज़रिए से जानने, समझने और एक तरह से हड़पने का दौर शुरू हुआ. माना जा सकता है कि दुनिया के लिए हिमालय के दरवाज़े असल में इसी दौर से खुलना शुरू हुए.
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