भारतेंदु हरिश्चंद्र जी द्वारा रचित नाटक अंधेर नगरी के नामकरण की सार्थकता को स्पष्ट किया गया है। यह नाटक एक प्रतीकात्मक नाटक है जो तत्कालीन शासन व्यवस्था पर व्यंग्य करता है तत्कालीन अंग्रेजी शासक भारतीय जनता पर अत्याचार करते उनका शोषण किया जाता। किसी भी व्यक्ति के गुणों को ना पहचान कर उन्हें तुच्छ मानकर उनका अपमान किया जाता। इसी भ्रष्टाचारी तंत्र का व्यंगात्मक चित्रण इस प्रहसन में किया गया है।
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