समाज के समृद्ध होने के साथ-साथ, बढ़ती संख्या में लोग अब कई मौलिक आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पा रहे हैं. दक्षिण अफ्रीका और यूके में, लिज़ और सखुम्ज़ी पूंजीवाद के फायदों में विश्वास रखते हैं, जबकि जेमी और प्रिंसेस को अपने खर्चे चलाने में मुश्किलें हो रही हैं.
यूके एक अमीर देश है, लेकिन इसके बावजूद, उसकी आबादी का 20% हिस्सा, यानी 14 मिलियन लोग, ग़रीबी में जीवन बिता रहे हैं. जैसे कि जेमी जो बेरोज़गार हैं और उन्हें फ़ूड बैंक की मदद लेनी पड़ती है. उनके विपरीत लिज़ लंदन की सोशियलाइट हैं जो मानती हैं कि कोई भी सफलता की राह पर चल सकता है. जेमी काम करना चाहते हैं, लेकिन एक भयानक कार दुर्घटना के बाद, उन्हें उनके लायक कोई नौकरी नहीं मिल पा रही है. इसकी वजह से उन्हें बढ़ते किराये चुकाने में मुश्किलें हो रही हैं.
दक्षिण अफ्रीका दुनिया के सबसे असमान देशों में से एक है, जहां बेरोजगारी की दर 30 है. इस कठिनाई के बावजूद, सखुम्ज़ी एक सेल्फमेड करोड़पति हैं जो सोवेतो टाउनशिप में कई स्थानीय व्यवसाय चलाते हैं और सैकड़ों लोगों को काम देते हैं. वहां रहने वाली चार बच्चों की मां प्रिंसेस, पक्की नौकरी ढूंढ़ने में संघर्ष कर रही हैं, जिससे उन्हें अपनी बेटियों के लिए स्कूल की फीस भरने में मुश्किल हो रही है. वह अपने परिवार के लिए झुग्गी बनाने का सपना देखती हैं ताकि परिवार एक साथ रह सके.
ऐसी असमानताएं लोगों को सिर्फ व्यक्तिगत तौर पर प्रभावित नहीं करती, बल्कि समाज की सामान्य खुशहाली के लिए भी समस्या बनती है. इससे अर्थव्यवस्था, समुदायों और लोगों को अरबों का नुकसान होता है.
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